पढ़ लो तो शायरी हूँ सुन लो तो गजल हूँ दर्द की जमीं पे उगता हूँ मैं बेबस फसल हूँ || -
पढ़ लो तो शायरी हूँ सुन लो तो गजल हूँ दर्द की जमीं पे उगता हूँ मैं बेबस फसल हूँ ||
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