बहुत हँसने वाले जाने कब, ज़िंदा लाश हो गये
किसी एक शख़्स ने ना पूछा ,क्यों यूँ उदास हो गये
अब तो देने लगा है जवाब, दिल भी दिमाग़ को
उजाले दुश्मन जब से हुए, तो अंधेरे ख़ास हो गये
बाँटने को बाक़ी ना रहा, दुनियाँ वालों से मेरे पास
मिल के बतायेंगे कभी, ख़त्म कैसे एहसास हो गये
पगला रहा ता उम्र, लिखारी बनूँगा यह सोचता था
अरे !! तेरे जैसे जाने कितने आये और इतिहास हो गये
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