In this ever-changing world where every thing changes with every change of moment , I have decided not to resist any change and change myself with every change and support every change which may bring some change in me !
कभी बिस्तर पे ढूँढा कभी बागीचे में कभी अलमारी खंगाली कभी जुगनुओं से पूछा कभी खाली रस्तों पे ढूँढा कभी मेले की भीड़ में पर कहीं ना मिला वो अपना जो बन गया है एक सपना
किसकी यादों में खोया दिल किसकी आँखों में खोया दिल बस धुँधली सी एक याद है कि कोई था एक अपना जो ज़हन में है कैद बन के एक जख़्म, एक दर्द, एक ख़ामोशी और एक सपना