जिसे तुम शायरी कहकर बहुत ही दाद पाते होवो पन्ने पर पडे़ कुछ शब्द शायद सुगबुगाते हैं। तुम कागजों को स्याही से रंगीन करते होहम धड़कनों की ताल पर दिल का नगमा सुनाते हैं। - Manish Kumar Jha
जिसे तुम शायरी कहकर बहुत ही दाद पाते होवो पन्ने पर पडे़ कुछ शब्द शायद सुगबुगाते हैं। तुम कागजों को स्याही से रंगीन करते होहम धड़कनों की ताल पर दिल का नगमा सुनाते हैं।
- Manish Kumar Jha