22 JUN 2018 AT 8:34

तुम को लिखूँ, तुम्हीं को गाउँ
तुझमें खो कर, तुझको पाउँ।
अधर पर लगी मुरली बन जाउँ
तेरे होठों को छु, धुन बन रिझाउँ।

तेरे पाउँ की पैंजनी बन
तेरे नृत्य का प्राण कहलाउँ।
तेरी आँखों का अंजन बन
तुझे खुदकी नजर से बचाउँ।

तेरे सिर पर मयूर पंख बन
खुदका मैं मान बढ़ाउँ।
तेरे मुख पर माखन बन
श्याम मैं तेरा हो जाउँ।

- Yogi