Mahesh Davar  
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Joined 15 August 2019


Joined 15 August 2019
22 DEC 2020 AT 17:33

समझ नही सकता हर कोई-जज्बात को तुम्हारे
*कोई दिल से लग जाता-तो कोई कहता है-तुम हो हमारे*

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26 MAR 2020 AT 20:10

"बनना हमको भार नहीं "
मोदी जी की लक्षमण रेखा, करना हमको पार नहीं '
कोरोनो रूपी रावण से, पाना हमको हार नहीं "
दिन 21 गुजर जाएंगे, रखना हमको धेर्य सदा '
शासन का आदेश मानना, बनना हमको भार नहीं "


समसामयिक कवि
कैलाश सोनी डॉवर
अध्यक्ष
"प्रेरणा साहित्यक संस्था "
नरसिन्हगड़

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1 DEC 2019 AT 20:53

वो पत्थर दिल होने का रस्म निभाते रहे.
उनके इबादत मै सर हम झुकाते रहे.

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1 NOV 2019 AT 12:26

वो गलत नहीं था।

गलत तो मेरी उम्मीद थी

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9 OCT 2019 AT 10:13

" लक्ष्य "
रखॊ
लक्ष्य को पाने का ।

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25 AUG 2019 AT 22:25

मै शब्द में बड़ी बिचित्रता है। सुबह से शाम तक आदमी कई बार मै मै करता है। इस मै के कारण ही बहुत सारी समस्याएं जन्म लेती है। आश्चर्य की बात यह है कि मै के कारण उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए आदमी फिर " मै " को प्रस्तुत करता है।

समस्त हिंसा और अशांति के मूल में " मै " ही है। जीवन बड़ा आनंदमय और उत्सवमय बन सकता है लेकिन यह अहंवाद उसमे सबसे बड़ी बाधा है। मै " के ज्यादा आश्रय से ह्रदय पाषाण जैसा हो जाता है। जबकि जीवन का वास्तविक सौंदर्य तो उदारता, विनम्रता, प्रेमशीलता और संवेदना में ही खिलता है।

मै माने स्वयं में बंद हो जाना, पिंजड़े में कैद हो जाना, आकाश की अनंतता से बंचित रह जाना। एक बात बिलकुल समझ लेना " मै " की मुक्ति में ही तुम्हारी समस्याओं की मुक्ति है। साहव जो बात "हम" में है,

वो ना तुम में है ना मुझ में है॥

"VNim"

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24 AUG 2019 AT 23:35

"VNiM"

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23 AUG 2019 AT 19:12

Gulzar about his relationship with Rakhee(his wife)..
It is so beautiful!

उसे आईलाइनर पसंद था,
मुझे काजल।

वो फ्रेंच टोस्ट और कॉफी पे मरती थी,
और मैं अदरक की चाय पे।

उसे नाइट क्लब पसंद थे,
मुझे रात की शांत सड़कें।

शांत लोग मरे हुए लगते थे उसे,
मुझे शांत रहकर उसे सुनना पसंद था।

लेखक बोरिंग लगते थे उसे,
पर मुझे मिनटों देखा करती जब मैं लिखता।

वो न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर, इस्तांबुल के ग्रैंड बाजार में शॉपिंग के सपने देखती थी,
मैं असम के चाय के बागानों में खोना चाहता था।

मसूरी के लाल डिब्बे में बैठकर सूरज डूबना देखना चाहता था।
उसकी बातों में महँगे शहर थे,
और मेरा तो पूरा शहर ही वो।

न मैंने उसे बदलना चाहा न उसने मुझे।
एक अरसा हुआ दोनों को रिश्ते से आगे बढ़े।

कुछ दिन पहले उनके साथ रहने वाली एक दोस्त से पता चला,
वो अब शांत रहने लगी है,
लिखने लगी है,
मसूरी भी घूम आई,
लाल डिब्बे पर अँधेरे तक बैठी रही।

आधी रात को अचानक से उनका मन
अब चाय पीने को करता है।
और मैं...
मैं भी अब अक्सर कॉफी पी लेता हूँ
किसी महँगी जगह बैठकर।

~ गुलज़ार

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23 AUG 2019 AT 17:11

Gulzar about his relationship with Rakhee(his wife)..
It is so beautiful!

उसे आईलाइनर पसंद था,
मुझे काजल।

वो फ्रेंच टोस्ट और कॉफी पे मरती थी,
और मैं अदरक की चाय पे।

उसे नाइट क्लब पसंद थे,
मुझे रात की शांत सड़कें।

शांत लोग मरे हुए लगते थे उसे,
मुझे शांत रहकर उसे सुनना पसंद था।

लेखक बोरिंग लगते थे उसे,
पर मुझे मिनटों देखा करती जब मैं लिखता।

वो न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर, इस्तांबुल के ग्रैंड बाजार में शॉपिंग के सपने देखती थी,
मैं असम के चाय के बागानों में खोना चाहता था।

मसूरी के लाल डिब्बे में बैठकर सूरज डूबना देखना चाहता था।
उसकी बातों में महँगे शहर थे,
और मेरा तो पूरा शहर ही वो।

न मैंने उसे बदलना चाहा न उसने मुझे।
एक अरसा हुआ दोनों को रिश्ते से आगे बढ़े।

कुछ दिन पहले उनके साथ रहने वाली एक दोस्त से पता चला,
वो अब शांत रहने लगी है,
लिखने लगी है,
मसूरी भी घूम आई,
लाल डिब्बे पर अँधेरे तक बैठी रही।

आधी रात को अचानक से उनका मन
अब चाय पीने को करता है।
और मैं...
मैं भी अब अक्सर कॉफी पी लेता हूँ
किसी महँगी जगह बैठकर।

~ गुलज़ार ~

"VNiM"

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