शामों को कुछ इस तरह बसर किया करती थी मैं,कि तेरे रास्ते भी मेरी खुशबू पहचानने लगे ..! - Madhulika
शामों को कुछ इस तरह बसर किया करती थी मैं,कि तेरे रास्ते भी मेरी खुशबू पहचानने लगे ..!
- Madhulika