If my all leaves fall away
And I will become
‘Less of beauty'
Please! Be my rigid branchlet
And never leave me...
-Ranuuu-
Student of medical
Love to write poems on
Imagination and pract... read more
तू है तो है ख्वाइशें हज़ार...
मेरे हर सपने का हौसला है तू ।
- रानू-
खुश रहने की युक्ति चाहता हूं
अपने ही ख्यालों से मुक्ति चाहता हूं ।
कैसे खुश रहूं , नहीं पता
बस चहरे पे अपने इक हंसी चाहता हूं ।
आज ख्याल तो कल ख़्वाब बनेगा
ना पूरा कर सकू ,न उसे छोड़ना चाहता हूं ।
न दिखावे से, न बढ़ावे से,ये तो मन से बना है
इसे बस अपने लिए करना चाहता हूं ।
इससे जुड़ना बंधन नहीं, मुक्ति है मेरी
जिससे मैं उम्रभर बंधना चाहता हूं ।
ये ख़्वाब है मेरा, मजबूरी नहीं
खूबसूरत हो हरदम ये तो ज़रूरी नहीं ।
न जानें क्या अंजाम होगा इसका
बस इक कोशिश करना चाहता हूं ।
- रानू-
‘ Yaad'
Yaad aati h vo baatein jo humne tumne kii thi
Yaad aati h vo raatein jo tere liye jagi thi
Yaad aata h vo sab kuch jo mera tere liye tha
Yaad aata h vo sab kuch jo tera mere liye tha
Tu bhi chand ko dekh kar baatein meri karta h kya
Koi kissa mera yaad aaye,
to tu bhi akele me hasta h kya
Baat meri chid jaye to sharam tujhe bhi aati h kya
Sch btana yrr tujhe bhi meri yaad aati h kya!!!-
बच्चों से बचपना गया,
बड़ा बनने का शौक है।
बस खुद की मर्ज़ी करनी है,
कहां किसी की रोक टोक है।
उम्र बढ़ाते लोगो की
हरकतें बच्चों वाली है
हमको मत सिखाओ बेटा!
तुमसे ज्यादा उम्र पाई है।
सीखना सिखाना तो
बच्चों का शौक है।
रानू
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‘ फुर्सत '
चांद भी तो जाता होगा ना! अमावस को अपने काम से
सूरज भी मिलकर आता होगा ना! बरसात में अपने गांव से
मुझको भी हो फुर्सत इतनी ,पूरे सारे ख़्वाब करूं
पर खर्च ना हो जाऊं मैं पूरा ।
हो बेशक! सौ काम मुझे ,मेहनत भरे मेरे दिन बीते
दिनभर ना हो आराम भले पर रातें गहरी नींद में बीते ।
देखूं सूरज की पहली किरण,शामें बदलते रंग सी हो
हर सुबह अलसाऊ गीली घास में
और शाम हिलते हुए किसी झूले की हो ।
टिम-टिम तारें रात के,चंदा के साथ मैं भी देखूं
ठंडी ठंडी हवा को जब गालों से मैं यूं सहलाऊं ।
कभी कभी कुछ पल मैं भी
जब खुद को अपने पास बैठाऊं
तू कैसा है?
मैं भी अच्छा ।
बस खुद पर भी थोड़ा प्यार लुटाऊं ।
-रानू
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ये रिश्ते हैं पतंग से,
हम पक्की डोर से बांधेगे
बेखौफ उड़ने की ढील हो,
हम इतनी डोर बांधेंगे
हजारों पतंगों के बीच जब
वो भी उड़ कर इतराएगी,
हो मुझसे कितनी भी दूर चाहे
“वो मेरी पतंग कहलाएगी..."
- रानू
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