तुम कहो तो कुर्बान हो जाऊं तुम्हारे प्यार में,
शर्त यह है कि खंजर पर हाथ तुम्हारे हो !-
पटना विश्वविद्यालय पटना
NSUI Activist
- बिहारी भैया
Whatsaap - 77... read more
मेरा तो सबकुछ छीन ही रहा था, बस शेष थी तुम और तुम्हारा भी मुझसे छीन जाना।
अब लग रहा तुम्हारा भी मुझसे छीन जाने का वक्त आ गया हैं।
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तुम कहती हो तुम्हें बारिश पसंद है पर बारिश में तुम छाता ओढ़ती हो,
तुम्हें सूरज पसंद है पर तुम हमेशा छांव ढूंढती हो,
तुम कहती हो तुम्हें हवा पसंद है पर तुम अपनी कमरे की खिड़कियां बंद रखती हो,
अब बताओ मैं क्यों न डरूं जब तुम कहती हो तुम्हें मैं पसंद हूं...!!!-
खुद का लक्ष्य और घरवालों के सपनों को बेच कर..
दूसरों के लिए कितना सस्ता हो गया हूं मैं-
हम दो अजनबीयों के तरह अच्छे थे
फिर आपसे मुलाकात क्यों हो जाता है !
वैसे तो हजारों दोस्त है हमारे
फिर आपसे इतना गहरा क्यों हो जाता है!
यूं तो रब ने मिलाया हमें आपसे
फिर ये दिल खुद क्यों मिल जाता है!
कुछ ख्वाब देखे थे आंखों ने मेरे
फिर आपका चेहरा ही क्यों नजर आता है!
सोता हूं सोचकर सुबह जल्दी उठूंगा
तुम्हारा ख्वाब अक्सर देर क्यों कर जाता है!
आवारा, लापरवाह, नासमझ हूं मैं
फिर भी आपकी फिक्र क्यों सताता है !
हाथों में आप की लकीरे हैं या नहीं
फिर आप से इतनी मोहब्बत क्यों हो जाता है !-
चलो आज एक समझौता कर लेते हैं
तुम मेरे दोस्त बन जाओ
आज फिर से दोस्ती सजा लेते हैं!
जो वादे किए थे दोस्ती ना तोड़ेंगे कभी
आओ फिर से उन वादों को निभा लेते हैं!
गलतफहमी में बने दूरियों को मिटा कर
आओ फिर से दोस्ती निभा लेते हैं !-
इश्क उस संप्रभु राज्य के तरह है जहां के आपसी विवाद में,
किसी दूसरे राज्य का दखल संप्रभुता पर हमला होता !-
इश्क गणतंत्र सा हो गया है जहां हर साल फरवरी में इलेक्शन होता है ,
लेकिन हमें तो इश्क लोकतांत्रिक चाहिए जहां हम तुम्हे पाने के लिए आंदोलन कर सकें !-
इश्क भी होता अगर लोकतंत्र
तो हम तुम्हें पाने के लिए आंदोलन करते हैं !-
हम दो अजनबीयों के तरह अच्छे थे
फिर आपसे मुलाकात क्यों हो जाता है !
वैसे तो हजारों दोस्त है हमारे
फिर आपसे इतना गहरा क्यों हो जाता है!
यूं तो रब ने मिलाया हमें आपसे
फिर ये दिल खुद क्यों मिल जाता है!
कुछ ख्वाब देखे थे आंखों ने मेरे
फिर आपका चेहरा ही क्यों नजर आता है!
सोता हूं सोचकर सुबह जल्दी उठूंगा
तुम्हारा ख्वाब अक्सर देर क्यों कर जाता है!
आवारा, लापरवाह, नासमझ हूं मैं
फिर भी आपकी फिक्र क्यों सताता है !
हाथों में आप की लकीरे हैं या नहीं
फिर आप से इतनी मोहब्बत क्यों हो जाता है !-