Lakhan Singh   (बेबाक हूँ)
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Joined 28 October 2020


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23 JUN 2024 AT 16:18

तुम कहो तो कुर्बान हो जाऊं तुम्हारे प्यार में,
शर्त यह है कि खंजर पर हाथ तुम्हारे हो !

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23 JUN 2024 AT 15:49

मेरा तो सबकुछ छीन ही रहा था, बस शेष थी तुम और तुम्हारा भी मुझसे छीन जाना।
अब लग रहा तुम्हारा भी मुझसे छीन जाने का वक्त आ गया हैं।

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21 MAR 2023 AT 0:49

तुम कहती हो तुम्हें बारिश पसंद है पर बारिश में तुम छाता ओढ़ती हो,
तुम्हें सूरज पसंद है पर तुम हमेशा छांव ढूंढती हो,
तुम कहती हो तुम्हें हवा पसंद है पर तुम अपनी कमरे की खिड़कियां बंद रखती हो,
अब बताओ मैं क्यों न डरूं जब तुम कहती हो तुम्हें मैं पसंद हूं...!!!

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14 MAR 2022 AT 1:12

खुद का लक्ष्य और घरवालों के सपनों को बेच कर..
दूसरों के लिए कितना सस्ता हो गया हूं मैं

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28 SEP 2021 AT 13:24

हम दो अजनबीयों के तरह अच्छे थे
फिर आपसे मुलाकात क्यों हो जाता है !

वैसे तो हजारों दोस्त है हमारे
फिर आपसे इतना गहरा क्यों हो जाता है!

यूं तो रब ने मिलाया हमें आपसे
फिर ये दिल खुद क्यों मिल जाता है!

कुछ ख्वाब देखे थे आंखों ने मेरे
फिर आपका चेहरा ही क्यों नजर आता है!

सोता हूं सोचकर सुबह जल्दी उठूंगा
तुम्हारा ख्वाब अक्सर देर क्यों कर जाता है!

आवारा, लापरवाह, नासमझ हूं मैं
फिर भी आपकी फिक्र क्यों सताता है !

हाथों में आप की लकीरे हैं या नहीं
फिर आप से इतनी मोहब्बत क्यों हो जाता है !

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13 APR 2021 AT 0:50

चलो आज एक समझौता कर लेते हैं
तुम मेरे दोस्त बन जाओ
आज फिर से दोस्ती सजा लेते हैं!

जो वादे किए थे दोस्ती ना तोड़ेंगे कभी
आओ फिर से उन वादों को निभा लेते हैं!

गलतफहमी में बने दूरियों को मिटा कर
आओ फिर से दोस्ती निभा लेते हैं !

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13 FEB 2021 AT 20:27

इश्क उस संप्रभु राज्य के तरह है जहां के आपसी विवाद में,
किसी दूसरे राज्य का दखल संप्रभुता पर हमला होता !

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13 FEB 2021 AT 20:10

इश्क गणतंत्र सा हो गया है जहां हर साल फरवरी में इलेक्शन होता है ,
लेकिन हमें तो इश्क लोकतांत्रिक चाहिए जहां हम तुम्हे पाने के लिए आंदोलन कर सकें !

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9 FEB 2021 AT 13:38

इश्क भी होता अगर लोकतंत्र
तो हम तुम्हें पाने के लिए आंदोलन करते हैं !

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7 FEB 2021 AT 8:32

हम दो अजनबीयों के तरह अच्छे थे
फिर आपसे मुलाकात क्यों हो जाता है !

वैसे तो हजारों दोस्त है हमारे
फिर आपसे इतना गहरा क्यों हो जाता है!

यूं तो रब ने मिलाया हमें आपसे
फिर ये दिल खुद क्यों मिल जाता है!

कुछ ख्वाब देखे थे आंखों ने मेरे
फिर आपका चेहरा ही क्यों नजर आता है!

सोता हूं सोचकर सुबह जल्दी उठूंगा
तुम्हारा ख्वाब अक्सर देर क्यों कर जाता है!

आवारा, लापरवाह, नासमझ हूं मैं
फिर भी आपकी फिक्र क्यों सताता है !

हाथों में आप की लकीरे हैं या नहीं
फिर आप से इतनी मोहब्बत क्यों हो जाता है !

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