Kushagra Gupta   (Kushagra)
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Joined 13 June 2017


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Joined 13 June 2017
2 FEB AT 20:45

ये जो बिछड़नेवाले कि यादें है न...
इनकी नोंक नही होती,पर चुभती बडी तेज है...

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15 JAN AT 20:13

रात के सन्नाटे में सिसकियों के साथ करवट बदलते हुए देखते हो कि! तकिए की वो करवट गीली है,चेहरे पर हाथ फेरते हुए लगता है की! आँखें सूजी हुई है

-और फिर अचानक मोबाइल की सूनी स्क्रीन देख कर "फिर से, यूंही ही बेवजह आंसू बहने लगे तो, समझ लीजिएगा कि आपने अपने हिस्से का रिश्ता निभाया है।।

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22 DEC 2023 AT 12:56

कितना आसान है न किसी को अपना कहना और भरोसा दिलाना की अपने हो तुम,तुम्हारे होने से सब कुछ है

तो ....

फिर छोड़ कर जाना मुश्किल क्यों नही होता ।।

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20 DEC 2023 AT 20:26

वजह!
(Read in Caption)

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20 DEC 2023 AT 16:40

और फिर! वहीं छूट गया...
जो जरूरी था जिंदगी के लिए...

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27 OCT 2023 AT 20:30

प्रेम के बदले प्रेम मिलना संभव ना हो ,, या फिर प्रेम के बदले प्रेम देना संभव ना हो तो
सम्मान देकर विदा कर दें.. तिरस्कार खोखले लोग करते हैं... चाँद कभी भी चकोर के लिए अपनी किरणेँ उग्र नहीं करता.. प्रेम एकतरफा हीं सही.. चकोर का अधिकार स्वयं चाँद भी नहीं छीनता उससे!

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12 OCT 2023 AT 18:55

पिता का न रहना!
(Read in Caption)

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14 JUL 2023 AT 21:00

जिंदगी उस पड़ाव पर पहुंच गई है
जहां भावुकता के लिए कोई जगह नहीं।
अब जब कोई यह बोलता है कि मैं तुम्हें बेहद प्यार करती हूं
तो सिर्फ मुझे हंसी आती है
मैं जानता हूं कि कोई किसी के बिना नहीं मरता
आखिर मैं भी तों जिंदा ही हूं किसी के बगैर।
अब प्यार का नाम सुन कर ही अजीब सी चिढ़ हो जाती है।
मुझे अब सौंदर्य आकर्षित नहीं कर पाता
और इसीलिए मेरे जीवन में अब किसी स्त्री विशेष के प्रेम से अधिक
उसके निष्कपट मन की आवश्यकता रहतीं हैं!

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8 JUN 2023 AT 18:21

तुम्हारे बदलने से मेरे .संभलने तक का सफर

मुझे बेहतर से,बेहतरीन करता गया।

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30 JAN 2023 AT 20:01

तुम्हें हर बार
भूलने की कोशिश में
तुम और गहरा जाते हो
मेरी स्मृतियों में
ये दुनियां यू ही
बड़ी होती जाएगी
तुम यू ही
दूर होते जाओगे
जैसे मनुष्य से चाँद
और मैं खिड़कियों से
तुम्हें निहारता रहूंगा
एकटक🙇

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