17 AUG 2017 AT 9:15

अब तो हाथो से लकीरें भी मिटी जाती हैं,
उसको खोकर तो मेरे पास रहा कुछ भी नही,
कल बिछड़ना है तो फिर एहदे वफ़ा सोचके बांध,
अभी आगाज़-ए-मोहब्बत है, गया कुछ भी नही,
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बने,
तू समझता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नही।

सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे,
क्या से क्या हो गए.. देखते देखते।।

- Kunwar Love Singh