शारिरिक अनुभूति, बाहरी वैभव इत्यादि के आधार पर बने रिश्ते सिर्फ छंद काल तक सीमित होते हैं । आत्मा से जुड़े रिश्ते ,देश काल एंव परिस्थिति से भी परे सदा प्रफुल्लित रहते हैं
""तेरा रंग रूप कैसा है । मुझे फिक्र नहीं रहती हैं । मुझे इतना पता है...मेरे हर जंजाल की सुलझन तू । मेरी खुशी का हर ठिकाना तू , इजहार तू , मेरा उपहार तू"" 😍