Kundan Anil   (Thatmbapoet)
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Joined 16 August 2017


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Joined 16 August 2017
11 JUN 2020 AT 2:04

मैं अक्सर इंसानों से
उजाले भरते रौशनदानों से
पेड़ों की शाख़ों से
मंदिरों के चरागों से
सीने में कैद ख़्वाबों से
आलमारी से ताकती किताबों से
तुम्हारी बातें किया करता हूँ,
और उन बातों को लोग
कविता समझ बैठते हैं.

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1 JUN 2020 AT 2:15

उड़ान किसने भरी
यह जरूरी नहीं,
मुद्दा ये है कि
धूप खिले या ना खिले
हवाएँ चले या ना चले
उड़ान भरी जा सकती है.

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25 MAY 2020 AT 13:00

मुझे यूँ तकना
जैसे फुटपाथ पर लेटा असलम
उम्मीद भरी आँखों से
तकता है चाँद,

मुझे यूँ मिलना
जैसे इस जहाँ में
हर मजदूर को मिले
दो वक़्त की रोटी.

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10 MAY 2020 AT 22:01

आसाँ नहीं था जब ख़ुदा का इंसाँ होना,
जायज़ था ऐसे में उसका माँ होना.

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27 APR 2020 AT 23:33

मैं
इस असमंजस में
मारा जाऊँगा
कि वो मुझे
खुले बालों में
अच्छी लगती है
या गूथे हुए बालों में.

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24 APR 2020 AT 20:49

किसी रोज ऐसा हो
कि तुम सवाल करो
और मैं ख़ामोश रहूँ
तो इसे मेरी चुप्पी मान
रूठ कर चली ना जाना,
एक दफा पढ़ लेना आँखें मेरी
क्यूँकि शब्दों ने छला है
इंसानों को सदियों से.

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22 APR 2020 AT 1:15

वो हज़ार शामें
(Read in caption)

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29 MAR 2020 AT 0:44

पिघलती चाँदनी रातों में
गुलज़ार के नज़्म सुनते
मेरे काँधे से लगकर
जब तुम सोई थी.

अंधेरे के लिहाफ़ में
मैंने छुआ था
तेरी ज़ुल्फों को,
देखा था मैंने
खिल आया था
चाँद
तुम्हारे होठों के किनारे.

इक बात बताता हूँ
इतराना मत,
अब भी
चमकता है
उस चाँद का प्रतिबिंब
मेरी उदास यादों में.

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1 JAN 2020 AT 8:15

नए साल की हर बात मुबारक,
सावन की बरसात मुबारक
दिसम्बर की ठंडी रात मुबारक
अपनों का संग-साथ मुबारक.

नए साल की हर शाम मुबारक
खुशियों का पैगाम मुबारक
नाम मुबारक, एहतेराम मुबारक
नए सुबह का सलाम मुबारक.

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30 DEC 2019 AT 18:03

खर्च ना हो जाएँ कहीं ख़्वाहिशों की तलाश में,
चलो माँ के हाथ का खाना खाकर वापस आया जाए.

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