Kumar Chandan   (कुमार चंदन)
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1 JAN 2022 AT 10:42

जीवन का हर क्षण नया हो।
ना कि सिर्फ नव वर्ष नया हो।।
हर पल हर क्षण ऐसे जियें
जैसे कि नव वर्ष आया हो।।

हार पराजय हो या जया हो।
चाहे मिले कुछ या गया हो।।
हर पल हर क्षण ऐसे जियें।
जैसे कि कण-कण नया हो।

नव वर्ष 2022 की
शुभकामनाओं सहित

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4 NOV 2021 AT 16:49

अंधेरों में जगमग प्रकाश है, खुशियां और उल्लास है
निराशाओं के भंवर में भी, नवजीवन की आस है

ऐसा हमारा विश्वास है, ये पर्व कुछ खास है
मौसम परिवर्तन में, ठंड का एहसास है

अयोध्या श्रीराम आवास है, चहुँ ओर खुशियों का वास है
ये मंगलमय वातावरण प्रदूषित न हो, ऐसा हमारा प्रयास है

शुभ दीवाली ♨️🔥🎉सुरक्षित दीवाली
आपको और आपके पूरे परिवार को
हमारी तरफ से दीपावली की
बहुत बहुत शुभकामनाएं

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22 APR 2021 AT 22:06

ज़ख्म क्या होता है
दर्द क्या होता है
इसका अंदाज़ा लगाना हो तो
कभी तन्हाई में
कभी अंधेरे में
दिल के किसी कोने में
पड़े हुए
धूल फांक रहे
कुछ सुनहरे
कुछ धुंधले
पन्नों को उलट कर देखो
वो दृश्य उभर आएंगे
जो साकार न हो सके
बस उन लम्हों को
जी कर देखो
कभी प्यारी सी मुस्कान
तो कभी अश्क़ मिलेंगे
पर वो लम्हा कल भी था
और आज भी है
जब भी जी करें
उन यादों के दरिया में
जी भर के गोते लगा लो
क्योंकि वो तब भी नहीं मिली
और आज भी नहीं मिलेगी
बस ये भी जीवन का रहस्य है
कि जो मुकम्मल हुआ वो पूरा नहीं
और जो हासिल नहीं वो अधूरा नहीं।

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4 AUG 2020 AT 19:32

यादों के शहर में कुछ दर्द सा बसता है
जैसे दिल के किसी कोने में
ज़ख्म दिख जाते हैं आँखों से रोने में
जैसे कुछ अलफ़ाज़ यूँ पड़े हैं
निःशब्द भावों में
जैसे तुझे ढूंढने निकल पड़ा अँधेरी गलियारों में
जैसे एक अदृश्य दस्तक दिख जाती दिल की बेचैनी में
जैसे गहरी निद्रा में चला जाऊं
तो जगा देती
यूँ मानो पुरे अस्तित्व को झकझोर देती, हिला देती
आँखे बंद करो तो महसूस हो जाये
पर नैनों से देखूं तो नैना सामने न आये

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3 AUG 2020 AT 16:18

सभी को रक्षा बंधन की बहुत बहुत बधाइयां

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2 AUG 2020 AT 12:21

दोस्ती का ये अफसाना हो गया
कि तुम संग बैठे ज़माना हो गया
अब मुलाक़ातें नहीं होती ऐ दोस्त
कि रोज़ी रोटी कमाना हो गया
कभी स्कूल जाते थे साथ साथ
उस गली से गुजरे ज़माना हो गया
जहाँ शामें गुज़र जाती थी बेफ़िक्र
उन मैदानों पे जाना बहाना हो गया
चोरी छुपे कहीं सजती थी महफिलें
अब घर में ही ठिकाना हो गया
कभी वक़्त बिताते वक़्त नहीं बीता
अब वक्त देख मिलना मिलाना हो गया
ठीक हो जाते थे मिट्टियों से ज़ख्म
उसी के लिए दवा खाना हो गया
हंसा करते थे जिन छोटी हरकतों पर
वही हरकतें अब बचकाना हो गया
सच्चाई झलकती थी हमारी दोस्ती में
वो दोस्ती बस एक फ़साना हो गया

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1 AUG 2020 AT 11:59

मासूम से चेहरे को देख कर मुझसे सहा नहीं जाता
तुम चुप हो जाती हो तो कुछ मुझसे कहा नहीं जाता
बिछुड़ जाओगे किसी दिन तो कैसे जी पाएंगे हम
जो कुछ क्षण न देखूं तुझे तो मुझसे रहा नहीं जाता

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31 JUL 2020 AT 15:48

वक्त वक्त की बात है
सूरज गर मालिक है दिन का
जुगनू की भी रात है
वक्त वक्त की बात है
यदि सूरज की तपती गर्मी है
तो सावन भादो की बरसात है
वक्त वक्त की बात है
एक प्रहर जो दिन को मिलता
एक प्रहर तो रात है
वक्त वक्त की बात है
कहते हैं गर सौ सुनार कि
तो लोहार की भी एक सौगात है
वक़्त वक़्त की बात है

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4 JUN 2020 AT 20:34

जो वहशिपना केरल में हुई उसकी निंदा जायज़ है।।। लेकिन जो हिंसा स्वाद के लिए हर रोज निर्दोष और लाचार और मूक प्राणियों पर होती है ।।। वो कहाँ तक जायज़ है।।। लेखक के अपने विचार हैं 🙏🙏🙏

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4 JUN 2020 AT 18:04

कुछ पुरानी यादें
कुछ अनकही बातें
कुछ बीते हुए पल
कुछ चांदनी रातें
या फिर


कि वो सब सपना था
कि कोई अपना था

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