परस्पर प्रेम पनपा जब,पिता और पुत्र-पुत्री में,प्रभु ने प्रेम पल्लव तब,ढ़का पतले से पर्दे में । -
परस्पर प्रेम पनपा जब,पिता और पुत्र-पुत्री में,प्रभु ने प्रेम पल्लव तब,ढ़का पतले से पर्दे में ।
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अनुशासन से कर शासन वो,जग में पूजित हो जाते हैं,हैं राम सकल पौरुष का दंभ,वनवास सहज सह जाते हैं। -
अनुशासन से कर शासन वो,जग में पूजित हो जाते हैं,हैं राम सकल पौरुष का दंभ,वनवास सहज सह जाते हैं।
शहर जब डूब जाता है,तो बस इतना बताता है,(पूरी कविता अनुशीर्षक, कैप्शन में पढ़िए) -
शहर जब डूब जाता है,तो बस इतना बताता है,(पूरी कविता अनुशीर्षक, कैप्शन में पढ़िए)
वक़्त बिखरे रेत सा,हम कैद कर ना पाएंगे,दिन बुरे हैं आज पर,कल तो अच्छे आएंगे ।। -
वक़्त बिखरे रेत सा,हम कैद कर ना पाएंगे,दिन बुरे हैं आज पर,कल तो अच्छे आएंगे ।।
मेरे हिस्से की कच्ची धूप,को तुम सेंतते रहना,मैं आती हूं अभी जाकर,मुझे तुम देखते रहना, -
मेरे हिस्से की कच्ची धूप,को तुम सेंतते रहना,मैं आती हूं अभी जाकर,मुझे तुम देखते रहना,
Kumar Mohit -
Kumar Mohit
पूरी कविता अनुशीर्षक (कैप्शन) में पढ़ें। -
पूरी कविता अनुशीर्षक (कैप्शन) में पढ़ें।
चिरागों को मयस्सर है,अभी वो आखरी "रेशा",कि जिसका साथ लेकर वो,अंधेरा काट लेंगे। -
चिरागों को मयस्सर है,अभी वो आखरी "रेशा",कि जिसका साथ लेकर वो,अंधेरा काट लेंगे।
सफर में साथ इतना हो,कि "मुश्किल" भी कटे संग में,जो मंज़िल दूर हो थोड़ी,तो "दोनों" ही थकें संग में। -
सफर में साथ इतना हो,कि "मुश्किल" भी कटे संग में,जो मंज़िल दूर हो थोड़ी,तो "दोनों" ही थकें संग में।
-कु.मो -
-कु.मो