Kumar Karmvir Singh   (करम)
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Joined 20 April 2017


Joined 20 April 2017
2 SEP 2019 AT 19:23


ईमान ढूँढता हूँ बेईमानों में
जान ढूँढता क़ब्रिस्तानों में
दौर-ए-दहशत ऐसा है आया
मुस्कान ढूँढता हूँ इंसानों में

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28 AUG 2019 AT 23:04

तुम डरा ना करो, जब मेरे साथ होती हो

ये शहर वाकिफ़ है मेरी पहरेदारी से

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27 SEP 2018 AT 21:26

हर दफ़ा तुझसे मांगने की आदत सी हो गई है

आगे से समझदारी मांगेंगे, इस दफे माफ़ी दे दे

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19 AUG 2018 AT 1:37

इश्क़ , मुहब्बत , दिल्लगी सब करनी है
अब जो आओ बची उम्र साथ लाना

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21 MAR 2018 AT 16:41

इक काम कर

तू अपने मशविरों के जख़्म देना छोड़ दे
मुझे कैसे जीना है ये मुझ पर छोड़ दे

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29 JAN 2018 AT 11:47

अब निकाल भी लो संविधान बंद पड़े संदूकों से
बहुत चलाया तुमने फरमान अब तलक बंदूकों से

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27 JAN 2018 AT 22:20


देखो वो दरवाज़े पर दस्तक किस की है

गर हुआ इश्क़ तो कहना यहां कोई दिलवाला नहीं रहता

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27 DEC 2017 AT 13:17

अब और क्या भटकें मंज़िल की तलाश में
घर का पता भूल गए घर से निकल के

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6 NOV 2017 AT 2:10

जिक्र-ए-वफ़ा में तेरा नाम क्यूं आए भला
तेरे दीवानों में मेरा जिक्र काफी है दिल लगाने को

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18 OCT 2017 AT 11:30

इन भीगे गीले कागज़ों को रखना संभाल
सूखाने को मैं दूर से ही इन्हें हवा देता हूँ

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