18 JUN 2018 AT 22:08

आज फ़िर नौकरी छोड़ , पढ़ने-लिखने को दिल करता है
जो समय आशिक़ी , आवारगी औऱ अय्यासी में बिताए , उसपर रोने को दिल करता है
बिना कहे किसी को , फ़िर वापस जाने को दिल करता है
आज फ़िर नौकरी छोड़ , पढ़ने-लिखनें को दिल करता है !
दिल में जो सपना था , उसका पीछा करने को दिल करता है
कल नहीं , बस आज से वापस पीछे जाने को दिल करता है
मुझे पता है , किसी कोने में किताबें धूल खा रहीं होंगी
आवारा लड़कों की तरह कलमें भी कहीं स्याहियाँ उधेड़ रही होंगी
दिल करता है आज फिऱ से क़िताब उठा लें , कर दें सपना पूरा अपना
नौकरी की इस जंजीर को , तोड़ दें हम क़लम से
अपना !!
बचपन की उस ख्वाहिश को , एक बार फ़िर मंज़िल बनाने को दिल करता है
कर कर कड़ी मेहनत , एक बार फिऱ आसमान छूने को दिल करता है
आज फिऱ नौकरी छोड़ , पढ़ने-लिखने को दिल करता है !!!

- ABHI MISHRA