krishnakumar mishra   (Krishnakumar Mishra)
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Joined 12 February 2017


Joined 12 February 2017
27 OCT 2021 AT 8:46

इश्क़ किया हमने तुमसे
पर तुम्हे कभी बदनाम ना किया
किस्से सुनाये अपने इश्क़ के भरी महफ़िल मे
पर उनमे कभी तेरा नाम ना लिया❤️

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16 OCT 2021 AT 10:12

तू क्या जाने तेरे जाने के बाद
मुझ पर पर क्या क्या बीती है
मैं तो कब का मर ही चूका हूँ
एक बस तेरी याद है जो मुझमे जीती है

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13 OCT 2021 AT 10:45

जब कभी गिरा मैं चलते चलते
एक तूने ही मुझे हर बार संभाला है,
जिंदगी की ये धुप मुझे कभी छू भी ना पायी
तूने मुझे अपने आँचल की छाया तले जो पाला है,
मेरे जीवन के हर अंधीयारों का ओ "माँ" मेरी
एक बस तू ही तो एकमात्र उजाला है,
तू है मेरी "माँ" शेरावाली
ये बेटा तेरा नादान भोलाभाला है❤️

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6 OCT 2021 AT 8:53

कैसा तुम ये ख्वाब सजाई बैठी हो,
क्यों मुझ पत्थर दिल को तुम चाहे बैठी हो?

कुछ भी नहीं पास मेरे तुम्हे देने को,
क्यों फिर तुम मुझसे आस लगाए बैठी हो?

मांग रही हो मुझे हर उस रब से अपने,
क्यों दिल मे अपने मुझको रब बनाये बैठी हो?

कहती हो एक मेरे सिवा कोई भी नहीं है तुम्हारा,
क्यों मेरी खातिर तुम अपनों को भी भुलाये बैठी हो?

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5 OCT 2021 AT 10:13

देखो आज खुदको नज़रों से तुम हमारी
तुम भी आज खुद का ज़रा दीदार तो करो,

वजह जान लो क्यों है मोहब्बत हमें तुमसे इतनी
तुम भी आज दिल खोल खुद से प्यार तो करो,

जुल्फों को अपनी खोलो, लेहराने दो इन्हे तुम
हवाओ पे तुम ज़रा सा ऐतबार तो करो,

आँखों मे लगाओ काजल, कानो मे पहनो झुमके
इस आशिक़ पर अपने तुम हुस्न का क़त्ले वार तो करो

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31 JUL 2021 AT 7:40

तकदीर अपनी इस दफा, मैं खुद लिख रहा हूँ
इन दिनों जलते अंगारो पर चलना सिख रहा हूँ ||

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17 JUL 2021 AT 13:42

रोना चाहू भी जो अगर मैं, तो रो नहीं सकता
एक उसके सिवा किसी और का मैं, कभी हो नहीं सकता
मुकद्दर मे ही नहीं था वो, तो उससे मिलवाया ही क्यूँ
वो जो मेरा होकर भी कभी मेरा हो नहीं सकता ||

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12 JUN 2021 AT 9:15

मेरी हर जीत मे शामिल तेरा भी तो हिस्सा है
जो बयां ना कर सकूँ कभी किसी से मैं,
तू मेरी जिंदगी का वो अनकहा सा किसा है

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4 JUN 2021 AT 8:27

जिंदगी है एक जंग
तुम इसे लड़ कर तो देखो,
किनारे पर खड़े होने से कुछ नहीं होगा
तुम एक दफा रण मे उतर कर तो देखो,
लड़ो अपनी लड़ाई को तुम पुरे जोश से,
बुजदिलो सा जीने से अच्छा है
तुम एक दफा मर कर तो देखो..

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2 JUN 2021 AT 8:51

टूट कर बिखरा था मैं
तुमने आकर फिर एक दफा जोड़ दिया
हारी हुई मेरी जिंदगी की बाज़ी का रुख
तुमने जीत की और मोड़ दिया

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