प्रतिघात हुआ, विश्वास रहा,
तू मेरे दिल के पास रहा,
मै सोच सोच कर हर पल,
जाने कितनी बार मरा,
मै मर मर कर उठ खड़ा हुआ,
जाने क्या मुझसे गीला हुआ,
तुम बिना सिकवे सिकायत के,
फिर से अब ना खड़ा हुआ,
क्या सोए थे एक पल को,
फिर चिर निद्रा को लिन हुए,
मै खड़ा रहा, रास्ता टेके,
तुम अपने में ही लिन रहे,
मै चीख चीख कर बोल रहा,
तुम अनसुना करके चले गए,
प्रतिघात हुआ, विश्वास रहा,
तू मेरे दिल के पास रहा।।
मन अब तक अचल विचल सा है,
जाने कितना गम सा है,
मानो या ना मानो पर ,
मन अब तक ना माना है,
तुम हो ही नहीं अब पास यहां,
जाने क्यों सब बेगाना है,
सब अपने है, सब सपने है,
पर तुम जो थे वो पता नहीं,
जादू कह दू या दवा कहूं,
पर तुमको में अब हवा कहूं,
छू छू मुझे घुजरते हो,
अनसुनी बाते करते हो,
मै थका हुआ सा हारा हूं,
तुमसे बिछड़ा आवारा हूं,
प्रतिघात हुआ विश्वास रहा
तू मेरे दिल के पास रहा ।।
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