Krishna Tiwari   (Yug Purush)
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Joined 19 October 2017


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Joined 19 October 2017
7 DEC 2021 AT 0:16

मन मलिन सा काया था
जाने वो किसको भाया था
पता नहीं वो कहा गया
जाने क्या मुझसे गिला हुआ
हर तरफ़ उसे मै ढूँढा था
हर गली, हर चौराहों पे
वो जाने कितना खफा हुआ
वो किधर गया कुछ पता नहीं
बस मन में, थोड़ा गीला रहा
अब तक,चेहरा मन में पड़ा राहा
धूँधला सा अब तक दिखता है
पर सामने से ना वो मिलता है
वो दोस्त मेरे वो बचपन था
हर गम में अब भी हँसता है
दूर कही वो बसता है
हसता है हंसता है,
अब तक वो मुझमें बसता है
बस वक्त नहीं है मिलने का
बचपन अब भी मुझमें बसता है॥

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3 NOV 2020 AT 21:54

Memories are like rolar costar ride which will always makes you realise every little bit of you.

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30 AUG 2020 AT 22:49

प्रतिघात हुआ, विश्वास रहा,
तू मेरे दिल के पास रहा,
मै सोच सोच कर हर पल,
जाने कितनी बार मरा,
मै मर मर कर उठ खड़ा हुआ,
जाने क्या मुझसे गीला हुआ,
तुम बिना सिकवे सिकायत के,
फिर से अब ना खड़ा हुआ,
क्या सोए थे एक पल को,
फिर चिर निद्रा को लिन हुए,
मै खड़ा रहा, रास्ता टेके,
तुम अपने में ही लिन रहे,
मै चीख चीख कर बोल रहा,
तुम अनसुना करके चले गए,
प्रतिघात हुआ, विश्वास रहा,
तू मेरे दिल के पास रहा।।
मन अब तक अचल विचल सा है,
जाने कितना गम सा है,
मानो या ना मानो पर ,
मन अब तक ना माना है,
तुम हो ही नहीं अब पास यहां,
जाने क्यों सब बेगाना है,
सब अपने है, सब सपने है,
पर तुम जो थे वो पता नहीं,
जादू कह दू या दवा कहूं,
पर तुमको में अब हवा कहूं,
छू छू मुझे घुजरते हो,
अनसुनी बाते करते हो,
मै थका हुआ सा हारा हूं,
तुमसे बिछड़ा आवारा हूं,
प्रतिघात हुआ विश्वास रहा
तू मेरे दिल के पास रहा ।।


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11 AUG 2020 AT 23:45

मै हादसों से लडने वाले था
पर कहा पता था......
इन्हीं हादसों में ज़िन्दगी गुजरने वाला था।।

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8 JUL 2020 AT 20:18

हां छुट्टी भी मिली है
पर जाने कहीं ना कहीं, तेरी ही कमी है
हा गांव भी आया हूं
पर हा इस बार थोड़ी खालीपन सा है
तुम आस पास ही हो
पर अफसोस अब बात ही ना हो
गलतियां अब भी करूंगा
पर अफसोस समझाने के लिए तुम नहीं
मन मलिन सा रहेगा
पर हाथ पकड़ कर समझाने के लिए तुम नहीं
कमी आज भी होगा
पर अब पापा है हो जाएगा, येसे मेरे खयालात नहीं
तुम चले गए बिन बोल ही
कुछ बात करने का अब तक दिल में मलाल रहा
वापस तो मै आऊंगा घर
पर "लेट क्यु हुआ ? कहा थे? समय से आया करो"
जैसे शब्दों को सुनने को दिल में अब बस मलाल रहा।

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29 JUN 2020 AT 9:50

मन मलिन सा दिखता क्यू है
राज छुपाए बैठा क्यू है
आंखो से ही बोल दे बन्दे
आखिर, बर्सो से चुप बैठा क्यू है?....

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11 MAY 2020 AT 0:48

घर आज घर सा नहीं लगा,
मां की कमी जो थी आज,
आवाज़ तो दिया था आज भी,
पर वो दौड़ के आई नहीं मेरे पास,
हा शायद नाराज़ सी थी मुझसे,
हाथ तो आज भी कटा था,
पर पूरा घर नहीं उठाई थी आज,
मां मां चिल्लाना भी नहीं पड़ा था
पर वो दौड़ के गले लगाई नहीं थी आज।
हा आज घर घर सा नहीं लगा मुझे
मेरे मां कि कमी जो थी आज।।
खाने में एक फीकापन सा था,
क्युकी मां चिल्ला के खिलाई नहीं थी आज,
नाराज़ जरूर हो सकती है मुझसे,
मगर झल्ला के गले लगा लेती थी हर बार,
मां मां चार बार जरूर बुलाना भी पड़ा होगा, पहले भी,
चिल्ला के हि सही मगर जवाब जरूर दी थी हर बार,
हा आज घर घर सा ना लगा ,
क्युकी मेरे मां की कमी जो थी आज,
मेरे मां की कमी जो थी आज।।




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11 MAY 2020 AT 0:12

मन में मलाल और दिल में टिस सी जगी है।
शायद आज फिर से उसके मिलने कि उम्मीद जगी है।।

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14 APR 2020 AT 21:54

देख यांह लोगो में नफरत
धरती भी अब कांप उठी
बहता पानी नीला पड़ गया
अंबर हुआ है काला
आंख भर भर झांक रहे है
ये सब पागल मतवाले।।

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13 APR 2020 AT 8:55

Tu khawab hawa ki hai,
Tu khud me ek kahani,
Kya jal, kya nabh ki baat karu,
Tu pariyo ki rani hai.

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