Krishna Pandey KP   (Krishna pandey KP)
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Joined 30 March 2020


Joined 30 March 2020
4 JUN 2021 AT 13:36

अच्छा लिखना ही शानदार नहीं होता साहब
पढ़ने वाले भी शानदार होने चाहिए।

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21 MAY 2021 AT 21:45

हमने वहां भी सिर्फ़ आपको मांगा था ,
जहां लोग अपनी खुशियों की मन्नते मांगा करते है।

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17 MAR 2021 AT 11:02

"काफी अकेला हूँ" !
या
"अकेला काफी हूँ" !

। नजरिया बदलिये।

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5 FEB 2021 AT 8:59

तुम asspirant हो ssc की, मै हूं je का छात्र प्रिए,

तुम तो सोने की बर्तन हो, मै हूं मिट्टी का पात्र प्रिए,

तुम भागती जैसे मेल हो,मै सड़क किनारे का भेल प्रिए,

तुम सरपट भागती मेट्रो हो, मै थर थर कापता रेल प्रिए।।।।

कैसे होगा अपना मेल प्रिए....

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25 OCT 2020 AT 22:57

बार-बार पूछते हो, खुश हो न,
अरे यार खुश हूं, परेशान थोड़े हूं....
आधी रात को मदद मांगते हो,
इंसान हूं मैं, शैतान थोड़े हूं....
तुम हो काशी, हम हैं प्रयागराज,
उड़ के आ जाऊं! शक्तिमान थोड़े हूं....!

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30 SEP 2020 AT 7:14

मसहूर होकर भी अगर तुम गलत के खिलाफ ना बोले तो,,
मसहूर होना भी एक गाली है।।

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31 AUG 2020 AT 9:40

सजने सवरने की तुम्हे क्या जरूरत है,,,,,
क़यामत ढाने के लिए तुम्हारी सादगी ही काफी है।।।

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20 JUL 2020 AT 7:42

आसमान में काली घटा छाई हुई है ।
जरा कोई देख कर बताये,,
कहीं उसने अपने बाल तो खुले नहीं रखे।।

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18 JUL 2020 AT 20:28

एक ऐसे शख्स से किया था इश्क़ का इजहार,,,,
चाह कर भी उससे बोल नहीं सकता कि तुम्हारी याद इश्क़ की वजह से आ रही।।।।

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16 JUL 2020 AT 18:56

प्रयागराज वाली ज़िन्दगी हो तुम,,,
मन तो बहुत है साथ रहने का पर किस्मत नहीं।।।❤️ ❤️💔

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