शब्दों को पिरोना तो खुशी का एक बहाना हैं वरना इन दुखों का कहाँ कोई ठिकाना हैं। - कृतिका
शब्दों को पिरोना तो खुशी का एक बहाना हैं वरना इन दुखों का कहाँ कोई ठिकाना हैं।
- कृतिका