Komal Rawat   (Bindiya❤)
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Joined 27 May 2017


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Joined 27 May 2017
24 MAR 2022 AT 13:11

सोचती हूँ
कि क्या गुजरती होगी
उन ख़यालों पर
जो लिखे नहीं जाते...

शायद
शब्द बनकर जहन में
स्याही के तरह फैल जाते होंगे...

आकृतियों का जाल
बनता बिगड़ता सा
और कुछ धूमिल सा हो जाता होगा...

कुछ जिद्दी जज़्बातों की कश्मकश
उभरने से पहले
दफ़्न हो जाती होगी...

एक टीस एक कसक
जो चुभती रहती सीने में
खयाल बनकर
किताबों में गुलाब की तरह सो जाती होगी..!

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24 NOV 2019 AT 21:39

'बिंदिया' हूँ हाँ
❤️ उसकी बिंदिया ❤️
( पूरी कविता अनुशीर्षक में )

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4 JUN 2019 AT 15:37

मरते होंगे लोग आप पर
मिलकर आपसे हम तो जी उठे हैं

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23 DEC 2021 AT 13:06

अपनी दुश्वारियों का बही खाता है
अपनी परेशानियों का हिसाब है..
पूरा नहीं है इसका कोई भी सफा
ज़िन्दगी हर किसी की अधूरी किताब है!!

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19 OCT 2021 AT 16:39

ना जाने क्यों हर शख्स में
तेरा ही अक्स नज़र आता है..

बात इतनी भी माकूल ना रहती मगर
हर पल तेरा ही यूँ अंदाज़ नज़र आता है..

क्या कहें कि शख्सियत तेरी
हो रही है हम पर हावी
या ये वजूद मेरा कुछ तुझसा नज़र आता है..!

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2 OCT 2021 AT 17:27

जब तक जिस्म में रूह है
तब तक तो उसको खुश रखो,
रूह के जिस्म से जाने के बाद
खुश किसको रखोगे???
अफसोस को या खुदको..!

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2 SEP 2021 AT 1:25

जरूरत नहीं हो तुम मेरी,
फिर भी इतने जरूरी हो..

कि जितनी जरूरी है ये रात,
सुबह के आगाज़ के लिए..

गर रात न होती तो तुम ही कहो
क्या ही कीमत होती सुबह की ??

बस वैसे ही मेरा मूल्य तुमसे है
और मेरे लिए तुम अमूल्य हो..!

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9 JUL 2021 AT 23:25

पुरुष जल्दी रोता नहीं
अपनी पीड़ाएँ व्यक्त करता नहीं
मौन रहकर चाहता है कि
स्त्री पढ़ ले मन की भाषा
सहज होना चाहकर भी
गंभीर हो जाता है
मजबूत पत्थर की तरह दिखने वाला भी
थाम लेना चाहता है
शायद किसी का सहारा..!

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21 JUN 2021 AT 22:59

तुम्हारे बिन मैं कुछ भी नहीं, जानते हो तुम ये खूब सच
जीवन से भरी तेरी हँसी, इस दिल पे खनकती रहती है..❤️

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18 APR 2021 AT 23:13

ख्वाहिशें कहाँ इतनी महीन होती हैं..
जो सिमट कर इन हथेलियों में समा जाएं..!

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