मोहपाश में हम तुम देखो सम्मोहन के मारे हैं तुम ही देखो हम तुम वरना विपरीत ध्रुवों के तारे हैं
मन शीतल अवगुंठन तक तेरे स्नेहिल आलिंगन तक बिन संवादों की कई बाते हैं आज जो बादल आ फिर घुमड़ें मन मेघ मीत बन भागे है दिन रैना नैना जागे है दिन रैना नैना जागे है
Yesterdayvon 8sept 2022 I left my room in delhi And came to allahabad to shift back here. Before memory fades I must say that rooms are like your outer wall against every one who doesn't believe in you. Miss my room
खतों का जिसमे पिरोते थे तुम अपने जज्बात जैसे बुनकर बनाता है कांचीवरम सोने के तारों से और झंकृत कर देता है मन का हर कोना सुनो ! तुम मुझे अब फोन मर करो चिट्ठियां लिखो मैं उन्हें संजोउंगी जैसे मां ने रखी हैं मेरे पिता की