वक़्त इतना धोख़ेबाज़ न होताग़र ओ मुसाफ़िर तू यूँ बर्बाद न होताअंधेरों के साये में महफ़िल नहीं सजतींहोश तुझे होती तो तू भी आज उजाले का मोहताज़ न होता - ©किरीट जोशी
वक़्त इतना धोख़ेबाज़ न होताग़र ओ मुसाफ़िर तू यूँ बर्बाद न होताअंधेरों के साये में महफ़िल नहीं सजतींहोश तुझे होती तो तू भी आज उजाले का मोहताज़ न होता
- ©किरीट जोशी