एक महान लेखक 'अग्यये' जी ने कहा था कि जब तक अनुभूति न हो तब तक लेखन कार्य सम्पादित नहीं हो सकता।
एक लेखक निरंतर लिखता है। वह अपने शब्दों से जड़त्व को भेदता है।
समाज को एक नयी राह दिखाने के लिए, अपने भीतर के ज्वार को शांत करने के लिए , और इस आधुनिक प्रौद्योगिकी के युग की नीरसता को सजीवता प्रदान के लिए मैंने भी अपने शब्दों को हथियार बनाया है।
अपने अंतस के कोलाहल को लफ़्ज़ों के माध्यम से व्यक्त करना ही मेरा एकमात्र उद्देश्य है। एक ऐसी इबारत लिखना जो सदियों तक याद रखी जाए,
यही मेरी ख्वाहिश है और यही मेरी प्रेरणा है।
और जब तक मेरे अंतर्मन को गहरी अनुभूति का एहसास होता रहेगा, मैं उसकी अभिव्यक्ति करती रहूंगी।
- Khyati