एहसासों को अल्फ़ाज़ों में पिरोने के लिए कभी क़लम की ज़रूरत होती थी...अब तो तर्जनी अंगुली ही काफी है... - ख़ुशबू
एहसासों को अल्फ़ाज़ों में पिरोने के लिए कभी क़लम की ज़रूरत होती थी...अब तो तर्जनी अंगुली ही काफी है...
- ख़ुशबू