8 JUN 2018 AT 22:41

तेरी यादों मे बस युहीं ब्यर्थ, दिन और रात गुजरता है।
लिखुं जो कुछ, तो कलम, बस तेरा नाम ही लिखता है।
गयी हो, जबसे दुउर कही अपने घर, मेरी नजरो से,
तब से, ये नजरें बस कैलेंडर की तारीखें तकता है।

- Keshav upadhyay