17 MAR 2018 AT 17:18

क्या लिखूँ मैं,
कैसे लिखते हैं लोग,
जाने कितनी बातों को
इतनी समझदारी से समझते हैं लोग
हर बात को अपने मयाने
बना लेते हैं
हर सच को झूठ
और झूठ को सच बना लेते हैं लोग
कभी किसी किताब को
वो किरदार में ढाल लेते हैं
कभी चंद किरदारों से
एक किताब बबसता हो जाती हैं
क्या लिखूँ मैं
कैसे लिखते हैं लोग
मुझे तो अपना फ़लस़फा ही नहीं पता
जाने कैसे किस्सा लिख लेते हैं लोग
छोटी सी हर बात को
बड़ा सा एक मकाम मिल जाता है
जब भी कोई लिखता है कुछ
वो खुद एक मुकाम बन जाता है
जाने कैसे लिखते हैं लोग?

- Kavita Kudiya