उनकी जुल्फ़े, उनके झुमके, उनकी पायल, उनकी आवाज़..
इनकी यादों से, उनकी एक आखिरी याद,
आखिर रह गई..
लम्हा, पल, वक़्त, महीने, साल, दिन.. सब गुज़रे..
पर एक आखिरी रात आखिर रह गई..
जो हँसी उनके चेहरे पर थी,
वो हँसी आखिर हमारे चेहरे पर ही रह गई,
यार, उनसे बात करने की, एक आखिरी बात आखिर रह गई..
यार, उनसे बात करने की, एक आखिरी बात आखिर रह गई..
-©✍🏻कौस्तुभ पचौरी ❣️
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