अगर होंसला बुलंद हो तो
बिना परों के भी उड़ सकते हैं-
थोड़ा खूद का भी ख्याल रखा करो
सब के लिए इतना करतीं हो
आपने लिए भी थोड़ा किया करो
इतना कुछ करती हो, कोई और नहीं कहता तो
कभी तूम आपने आप को ही शाबाशी दिया करो
कोई न करो अपनी तारीफ खूद किया
कभी ज़रा सा आपने लिए भी जीया करो-
कभी कोरी तो कभी काली हो गई
कभी दिल की क़लम से लिखीं गई
तो कभी अश्को में बह गई
कोई तहरीर पक्की सिहाई से लिखी गई
तो कभी कच्ची पेन्सिल की रह गई
कभी कागज़ मोड़ कर चला गया कोई
तो कभी अश्कों भिगो गया कोई
कोरे कागज़ की तकदीर अक्सर
कोरी की कोरी रह गई-
वो जो इश्क था वो जुनून था
ये जो हिज़्र है यह नसीब हैं
कोई दोस्त है न रक़ीब है
तेरा शहर कितना अजीब है-
सूनों न आज तुम भी थोड़ी मेरी मदद कर दो न
मैं सब्जी काट देती हूं, तुम उन को धो लो न
थोड़ी मेरी मदद कर दो न-
काश कोई ऐसा भी डाकिया या फोन हो
जो इस दुनिया से चले जाने वालों को भी
संदेश पहुंचा दे-
जिंदगी......
जब भी खत्म होगी जिंदगी ही खत्म होगी काम नहीं
तो जिंदगी को जियो काम तो होते ही रहेंगे-
बस यूं ही तेरे कंधे का सहारा मिला जाएं
बस फिर इस तरहां ही जिंदगी की शाम ढल जाएं-
वो मेरी रूह में कुछ इस तरह उत्तर गया
के रब को भी इबादत ऐ यार की इजाजत देनी पड़ी मुझे-
अगर भीड़ में खुद को अकेला महसूस कर रहें हो
तो समझ लीजिए खुद की तलाश करने का वक्त आ गया है-