तुमसे दूर होकर आग सा मैं जलता हूँ ,
आँखों में देख तेरी मोम सा पिघलता हूँ ।
तुम ही मेरी मंज़िल हो , तू ही मेरा रास्ता ,
तुमतक आने को रोज़ थोड़ा थोड़ा चलता हूँ ॥
मेरे सपने हज़ार हैं जिन्हें , तुम्हारे साथ बुनता हूँ ,
छोटी हो या बड़ी तुम्हारी सारी बात सुनता हूँ ।
तुम ही मेरी उर्वशी हो तुम ही मेरी मेनका ,
तुमने मुझको है चुना मैं तुमको चुनता हूँ ॥
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