लोग कया समझेंगे प्यार को, वो तो एहसास है दिलो का लोग क्या समझेंगे इश्क़ को , वह तो खिताब है आशिक़ का लोग क्या समझेंगे जज्बात को, वह तो इत्र है सांसों का लोग क्या समझेंगे आंसु को, वो तो बेपर्दा इजहार है मोह्बत का।।
Waqt usse mila nahi ya mere paas tha zyada, Waqt mujhe mila nahi ya uske hisse tha kam, milte toh hai 24 ghante sabhi ko, bass zaroorat aur khawahish mai hota hai fark.....
अक्सर उसकी याद आती है दिल में हल्की सी खटास दे जाती है, वो कहता था इश्क़ है तुमसे हमे पता था सिर्फ ज़रूरत है मुझसे, मलाल बस इतना है वो अब भी कहीं मुझमें ज़िंदा है।