19 JAN 2018 AT 15:24

"वह मूक फिल्मों का दौर था. इस छोटे से कस्बे में कोई स्थायी थियेटर तो था नहीं ,बस कभी -कभी चलता -फिरता सिनेमा दिखाने वाली कंपनी आ जाया करती थी.या फिर सालाना लगने वाली नुमाइश के दौरान पूरे पखवारे सिनेमा देखा जा सकता था."

- ©kamal kant, Bengaluru