बैठ चुके है माधव रथ पर , दतालिका भी थाम लिया
ठान चुके है अर्जुन भी अब , गांडीव अपना धार लिया
बैठ गये जब बजरंगी ध्वजा पर, महादेव का नाम लिया
कुरुक्षेत्र की भूमि क्या , पूरा अंबर शंखनाद ने ढांप लिया
समय आ गया मंथन का , बोलो किस को मान लिया
सत्य उसी और समझ लो जिसने प्रकृति को जान लिया सत्य सर्वव्यापक सदा से है ,तुमने क्यो न जान लिया
निकलो मैं के भ्रमजाल से अपने,अंत काल भी आन लिया
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