Jyoti Singh  
287 Followers · 104 Following

mad for painting,music,writing
Joined 12 July 2017


mad for painting,music,writing
Joined 12 July 2017
31 MAR AT 11:27

मैं बूंद बूंद भरता कलश
वो बहता मुझमे शीतल सा
मै थोड़ा थोड़ा मिट्टी सा
वो ज्यादा ज्यादा अंबर सा
मै सूखा सूखा तिनका सा
वो भीगा भीगा बादल सा
मै धीमा धीमा जलता सा
वो तेज़ तेज़ है रोशन सा
मै फीका फीका आंचल सा
वो सुर्ख सुर्ख छींटो सा
मै कुछ कुछ बोझिल आँखो सा
वो सारा सारा सपनो सा
मै ढलती ढलती शामो सा
वो उठता उठता सूरज सा

-


31 MAR AT 1:56

मैं बूंद बूंद भरता कलश ज्यों
वो बहता मुझमे खाली सा
मै थोड़ा थोड़ा मिट्टी सा
वो ज्यादा ज्यादा अंबर सा
मै सूखा सूखा तिनका सा
वो भीगा भीगा बादल सा
मै धीमा धीमा जलता सा
वो तेज़ तेज़ है रोशन सा
मै फीका फीका आंचल सा
वो सुर्ख सुर्ख छींटो सा
मै कुछ कुछ बोझिल आँखो सा
वो सारा सारा सपनो सा
मै ढलती ढलती शामो सा
वो उठता उठता सूरज सा

-


18 MAR AT 23:35

बता दो आज तुम कान्हा
तुम्हे राधा ने कैसे पाया है
मनाये लाख सब गोपी
संग तुझे बस राधा का भाया है

पिलाई कौन सी बूटी
विदुर ने ये मान पाया है
मेवा दुर्योधन की छोड
साग तुझे विदुर का भाया है

सुदामा ने दी कौन सी दौलत
जो तेरे मन को भाया है
फकीरी मे भी ठाठ है उसका
सिंहासन संग तूने, यूँ बिठाया है

कृष्ण -
हूँ मै तो भाव का भूखा
प्रेम और समर्पण ही मुझको भाया है

-


18 MAR AT 23:32

बता दो आज तुम कान्हा
तुम्हे राधा ने कैसे पाया है
मनाये लाख सब गोपी
संग तुझे बस राधा का भाया है

पिलाई कौन सी बूटी
विदुर ने ये मान पाया है
मेवा दुर्योधन की छोड
साग तुझे विदुर का भाया है

सुदामा ने दी कौन सी दौलत
जो तेरे मन को भाया है
फकीरी मे भी ठाठ है उसका
सिंहासन संग तूने, यूँ बिठाया है

कृष्ण
हूँ मै तो भाव का भूखा
प्रेम और समर्पण ही मुझको भाया है

-


21 FEB AT 23:27

पुकारो नाम माधव का
वो दौडा दौडा आयेगा
यही एक नाम कलयुग में
तुम्हारे काम आयेगा
कलि का अंत करने को
वो कल्कि बनके आयेगा
अधूरा है वचन उसका
वो पूरा करने आयेगा
रखेगा भेद मन भीतर
जन्म ये फिर न पायेगा
सनातन सत्य समझकर ही
सतयुग फिर से आयेगा

-


13 FEB AT 23:52

बैठ चुके है माधव रथ पर , दतालिका भी थाम लिया
ठान चुके है अर्जुन भी अब , गांडीव अपना धार लिया
बैठ गये जब बजरंगी ध्वजा पर, महादेव का नाम लिया
कुरुक्षेत्र की भूमि क्या , पूरा अंबर शंखनाद ने ढांप लिया
समय आ गया मंथन का , बोलो किस को मान लिया
सत्य उसी और समझ लो जिसने प्रकृति को जान लिया सत्य सर्वव्यापक सदा से है ,तुमने क्यो न जान लिया
निकलो मैं के भ्रमजाल से अपने,अंत काल भी आन लिया

-


31 JAN AT 23:45

दामन उसका थाम लिया
आईं मुश्किलें धूप सरीखी
उम्मीद ने ही तब ढांप लिया

-


18 JAN AT 11:00

उसने मुझे या मैने " तराशा " उसे
के ये जज्बात बुतपरस्तों का है
बरसों इन पत्थरों को अश्को से भिगोया था मैने,
रूबरू "अक्स "से उसके, पाया तभी खुद को मैने

-


17 JAN AT 22:46

जागे जागे भाग हमारे
राम आए है द्वार हमारे
सदियों के पुण्य फलित हुऐ हैं
पूर्ण मनोरथ सब हुऐ हमारे
जगमग जगमग मन का आंगन
पुलकित कण कण दीप बना है
आज अयोध्या यूं धन्य हुई है
रामनाम से गूंज रही है
आओ मिलजुल मंगल गाए
घर घर आत्म दीप जलाए
यही राम है घट घट वासी
बिन मूरत , पर रही उदासी
जो श्रद्धा को रूप मिले तो
मैं तो जाऊं बलिहारी

-


8 SEP 2023 AT 11:45

तुझको कलम बना लेंगे
शाम को रंग बना लेंगे
लफ्ज़ लफ्ज़ सजा देंगे

-


Fetching Jyoti Singh Quotes