jyoti nishi   (Jyoti nishi)
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Joined 9 February 2018


Joined 9 February 2018
2 JUL 2021 AT 22:22

डूबना ही एक इकलौती सज़ा तो ना थी
पर
हम फ़िराक़ में थे कि किनारा ना आने पाए।।

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10 JUN 2021 AT 8:50

राज़ अपने राज़ ही रहने दो.....
नहीं तो....
दुनिया बेचेगी वो अलग
मुनाफ़ा कमाने में भी कमी नही रखेगी।।।

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29 MAR 2021 AT 17:30

उससे बात कर रहे हो तो
उसी से करो
यूँ तो उसे बातें दोहराते रहनी पड़ेगी....
और तुम बात समझ नहीं पाओगे।।।

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21 MAR 2021 AT 10:57

वक़्त निकाल के आओगे तो जान पाओगे.....

ऐसे बचे हुए वक़्त में हाल पूछोगे तो
ठीक ही लगूंगी।।।

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13 NOV 2020 AT 19:18

अगर तुम सुनने के लिए भी बोलते
तो
हम भी उस बात में शरीक हो जाते।।।।

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10 NOV 2020 AT 11:22

चर्चे उस किस्से के.....
कुछ यूँ सरेआम होने लगे
कि
इल्ज़ामों की इन्तेहा तो हुई ही
गवाह भी बस ख़ामोश रहे।।।।

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27 OCT 2020 AT 22:18

बात मान जाने की आदत थी उसकी

वो गया भी तो....
खुद की मर्ज़ी से नहीं।।।

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12 SEP 2020 AT 20:36

मुझे रंगना तेरे हिस्से ही है
सलीक़े तेरे होंगे.......
और
लोगों के उठाये सवालों के जवाब भी।।

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8 SEP 2020 AT 20:59

तेरी बातें सुनने का ही बहाना लिए
गए थे वहाँ
अपने बारे में भी बहुत कुछ
जान कर आ रहे हैं।।।

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30 AUG 2020 AT 23:27

तुम कुछ कहोगे नहीं
और हम सुनते भी रहेंगे
कि
कुछ यूँ भी
अपनी ढ़ेरों बातें हुईं हैं।।।

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