Advocate Jai "Jatin"   (Jatin..✍)
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मैं, मेरे ख्याल और ये जिंदगी
Joined 19 January 2018


मैं, मेरे ख्याल और ये जिंदगी
Joined 19 January 2018
2 OCT 2022 AT 12:56

दस्तूर ए जहाँ निभाना पड़ता है,
अपने गम को छिपाना पड़ता है,

हालात कैसे भी हो जिन्दगी के,
हाल अच्छा है बताना पड़ता है,

उम्र छोटी हो या हो अंतिम सांस,
मुफ़्लिज़ को तो कमाना पड़ता है,

अपने घर का चूल्हा जलता रहे,
घरों से दूर भी जाना पड़ता है,

कोई नहीं समझता दर्द किसी का,
हाल ए दिल खुद सुनाना पड़ता है,

आंखे डबडबाती रहे चाहे रातभर,
सुबह उठकर मुस्कुराना पड़ता है,

अपनों को रोशन करने के लिए,
खुद को भी जलाना पड़ता है,

यूं ही नही बन जाता कोई जतिन,
तजुर्बे से खुद को बनाना पड़ता है।

जतिन..✍️

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24 AUG 2022 AT 23:18

ये खूबी है तुम्हारी की, तुम औरत हो,
ऊपर से तुम बला की खूबसूरत हो,

तुम्हारे हिज़्र में रहकर मैंने ये जाना,
तुम मेरी उम्र भर की जरूरत हो,

सुना है एक झलक जो देखे तुमको,
लगता है जैसे संगमरमर की मूरत हो,

कहानी में होती थी राजकुमारी जैसी,
तुम उन कहानियों की जिंदा सूरत हो,

औरत भी औरत तभी कही जाती है,
जब उसकी आँखों मे अपनी गैरत हो.

ये गज़ले, शेरों-शायरी में जिक्र तुम्हारा,
तुम 'जतिन' की एक तरफ़ा शोहरत हो।

जतिन..✍️

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11 AUG 2022 AT 10:32

अब इससे ज्यादा भी कोई क्या परेशान होगा,
नाकाम मोहब्बत से ज्यादा क्या नुकसान होगा,

जो भी सुनता है किस्से बर्बादियों के मेरे,
उस शख़्स से ज्यादा कोई क्या हैरान होगा,

मेरी हालत देखकर अब तो डॉक्टर कहने लगा,
ये लड़का अब बस चंद दिनों का मेहमान होगा,

इक लड़की के पीछे कैसे जान गवां देता है कोई,
मैं अक़्सर सोचा करता था वो कैसा नादान होगा,

जिन्दगी में कम से कम उम्मीद रखना किसी से,
ये मशवरा याद रखोगे तो जीना आसान होगा,

मैं अपना काम इतनी शिद्दत से करना चाहता हूँ,
एक दिन मेरा नाम ही मेरे काम की पहचान होगा,

मैं गर टूट भी जाऊँ तो वो संभालेगा मुझे आकर,
जतिन, ये तेरा वहम है ऐसा भी कोई इंसान होगा।

जतिन..✍️

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6 AUG 2022 AT 20:48

जिन्दगी में कुछ ना भी हो तो काम चलता है,
गर, घर मे माँ ना हो तो घर बड़ा ही खलता है,

बच्चा गोद से उतर चलने दौड़ने तक लगता है,
फिर भी, माँ को बच्चा, बच्चा ही लगता है,

बचपन से लेकर जवानी तक तो पलता है,
फिर एक दिन बेटा भी कमाने निकलता है,

सहारा देने वाले भी सहारों पर आ जाते है,
वक़्त भी रफ्ता-रफ्ता इस तरह बदलता है,

ताउम्र निःस्वार्थ जिन्दगी लुटायी हो जिसने,
उन बुजुर्गों का जोड़ा कुछ उम्मीदें तो रखता है,

कैसे माँ ने माँ का बाप ने निभाया बाप का फर्ज़,
अक़्सर ये बात हर कोई बड़ी देर से समझता है,

खुशियों से भरे घर मे जब सन्नाटा बसर करता है,
सच कहूँ, दिल टूट जाता है, मन बड़ा तरसता है,

ये तीज-त्यौहारों पर सुनसान पड़ा घर देखकर,
जतिन, उस दिन हर कोई बहुत ज्यादा तड़पता है।

जतिन..✍️

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2 AUG 2022 AT 19:00

किसी का प्यार किसी पर एहसान हो गया,
हमसफ़र चाहा जिसको अनजान हो गया,

प्यार मोहब्बत करना बहुत आसान है आज,
उससे भी ज्यादा मुक़रना आसान हो गया,

जिसने भी देखा सुना था सालों पहले मुझको,
वो हर शख़्स आज देख के मुझे हैरान हो गया,

छुट्टियों में जब कभी घर जाता है वो लड़का,
ऐसा लगता है अपने घर में मेहमान हो गया,

ज़िन्दगी का मजा सफ़र में है, ये मैंने जाना,
सफ़र जिसने भी छोड़ा वो परेशान हो गया,

मोहब्बत करी थी इतनी शिद्दत के साथ हमने,
इंतज़ार करते करते जतिन नुकसान हो गया।

जतिन..✍️

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28 JUN 2022 AT 17:46

सारे साज़ो-श्रृंगार एक तरफ़,
उसके माथे बिंदिया एक तरफ़,

मेरी सारी खुशियाँ एक तरफ,
उसका हँसता चेहरा एक तरफ़,

दुनियादारी की भीड़ एक तरफ़,
उस शख़्स का होना एक तरफ़,

मैंने ताउम्र किये है काम बहुत से,
उससे मोहब्बत करना एक तरफ़,

मैं क्या बयाँ करूँ उसके बारे में,
मेरा सब कुछ लिखा एक तरफ़,

तू छोड़ दे फ़िक्र बस सोच मुझे,
तू अपने डर को हटा एक तरफ़,

मोहब्बत जैसी भी हो मोहब्बत है,
फिर दो तरफ़ा हो या एक तरफ़।

जतिन..✍️

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25 JAN 2022 AT 21:55

Believe in yourself, may be you have good friends but thay can't always with you.— % &

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9 JAN 2022 AT 20:14

तू ताउम्र भी ढूंढता तो सुकून मिलता नहीं,
तू खुश तो लगता मग़र तू खुश रहता नहीं,

वो तुझे नहीं मिलता तो इतना फ़र्क़ पड़ता,
तुझे फ़र्क़ भी पड़ता औऱ फ़र्क़ दिखता नहीं,

सदायें, बहारें और सब मौसम बे'असर होते,
कोई शमा भी गिराता तो तू बहकता नहीं,

तू डरता मोहब्बत करने से फिर दोबारा,
कोई आता भी तो तेरे दिल मे उतरता नहीं,

हाल कुछ यूँ होता तेरा उससे हिज़्र के बाद,
रूह बेज़ान लगती और ज़िस्म मरता नहीं,

मुद्दतें गुज़रती ज़िन्दगी बशर करते-करते,
वो पहली मोहब्बत सा गुल खिलता नहीं,

तू भी लिखता नज़्में-ग़ज़लें, शेर-ओ-शायरी,
बस तू मोहब्बत पर फिर कभी लिखता नहीं,

तू ताउम्र रहता फ़िराक़ में उस एक नज़र की,
जतिन, गर वो शख़्स आज तुझे मिलता नहीं।

जतिन..✍️

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30 DEC 2021 AT 1:03

पहले जो हुआ सो हुआ तुम्हारा हमारा,
ऐ जाँ अब तो हर मसला हल हुआ हमारा,

ना रहा कुछ मेरा, ना रहा कुछ तुम्हारा,
अब जब भी कहना तो कहना हमारा,

तुम्हारी गिरफ्त में दिल मेरा तब आया,
हाल पूछा तुमने जब पहली दफा हमारा,

तुमसे मोहब्बत करके मैंने इतना है जाना,
तुमसे बेहतर ना था, ना है, ना होगा हमारा,

हमारी दास्तां का खूबसूरत हिस्सा वो होगा,
जब एक साथ नाम लिखा जाएगा हमारा,

चैन-ओ-सुकुन के लिए ये काफी है जतिन,
हमने जिसको चाहा था वो बन गया हमारा।

जतिन..✍️

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8 DEC 2021 AT 22:08

मैं डरता हूँ सिर्फ अपनों के रूठ जाने से,
मुझे घंटा फ़र्क़ नहीं पड़ता औरों के मुँह फुलाने से।

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