Jitendra Vijay Shri Pandey   (©JEET)
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Joined 22 January 2018


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2 JUN 2023 AT 21:28

खूबसूरती से रिश्तों को संवारने का विकल्प है मौन,
संचरित मानस वेग को रोकने का अभिकल्प है मौन।
लघु मानकर स्वावेग को कम कर सर्वस्व ध्यान विवृत्ति में लगाकर
कलुषित वक़्त के संवेग को बाँधने का संकल्प है मौन।।

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5 FEB 2023 AT 21:19

दादी का लाड़ला
अपने मन का मतवाला
आदतन स्वाभिमानी है वो
प्रोफेशन पत्रकार है वो
जन्मदिन की ढेरों बधाई मित्र

इलाहाबादी मामला
अपने जन का दिलवाला
यक़ीनन मनमानी है वो
इरादतन चित्रकार है वो
अपरिहार्य कारणों से न आने के लिए माफ़ी मित्र

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13 JAN 2023 AT 23:39

कभी-कभी आप अपनी ज़िंदगी और अपने कर्मों से तो संतुष्ट होते हैं पर आपकी ज़िंदगी में कुछ ऐसा हो रहा होता जो ठीक उसी प्रकार प्रतीत होता है कि बाहर से वृक्ष हरा-भरा रहता है या कहें दिखायी देता है पर उसकी जड़ों के अंदर दीमक धीरे-धीरे उसकी नींव को खोखला कर रहा होता है।

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14 DEC 2022 AT 11:59

आपको रचा है उस खुदा ने जिसकी नायाब रचना हमारे लघु खूबसूरत परिवार की संरचना के स्वरूप में श्रीनिका के प्रतिरूप में चार चांद लगा चुकी है। जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं भाभी, ईश्वर मेरे भैया और भाभी के मध्य प्रेम की दिलकश डोर को हमेशा अटूट रिश्ते के मज़बूत धागे से जोड़कर रखे बस यही आरज़ू है इस नादान जीत की तरफ से ❤️

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5 DEC 2022 AT 22:53

सचिन -
तुम वो इंदु हो जिसकी ख़ुशबू हूँ मैं,
तुम वो इंदु हो जिसकी शीतलता हूँ मैं।

इंदु -
आप वो शुद्ध हो जैसे कपूर हूँ,
आप वो सत्य हो जैसे चन्द्रमा हूँ।

जीत की नादान कलम -
जैसे शिव की जटाओं में इंदु भी बिंदु हो गया।
वैसे इंदु के जीवन में अपना सचिन भी बिंदु हो गया।।

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29 NOV 2022 AT 9:38

अवकात में रहो क्यों किसी की ज़िंदगी में उंगली करते हो,
जब घर अपने भी शीशे के हों तो क्यों पत्थर मारते हो।
जियो और जीने दो जीवन में उतार लो
बेवजह राह के रोडे क्यों बनते हो।।

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5 NOV 2022 AT 22:35

पर उन ख़्वाबों को यक़ीन में बदलना तो पड़ता है
जिम्मेदारियों के संग दोचार होना तो पड़ता है
रिश्तों की ख़ुशबू के ख़ातिर
तो कभी इंसानियत के ख़ातिर
ख़ुद के ख़्वाबों को दबाना तो पड़ता है।
अपराधी के अपराध को जानने के बावजूद भी
चोरी वाले चोर के सामने होने के बावजूद भी
कुछ कहने से ख़ुद को रोकना तो पड़ता है।
रिश्तों को रिश्ते की खूबसूरती समझाने के लिए
उस चोर को स्वनुभूति कराने के लिए
जानते हुए भी रुकना तो पड़ता है
क्रोध में होते हुए भी काबू करना तो पड़ता है
ख़ुद पर बेशुमाऱ काम करना होगा
धूल धूसरित हुनर को निखारना होगा
पहचान बनाने को पसीना बहाना तो पड़ता है
इंसान हैं तो कर्म करना तो पड़ता है
यूँ ही मंज़िल आसान नहीं होती
यूँ ही ज़माने में पहचान नहीं होती
त्याग में ख़ुद को जलाना तो पड़ता है
'कुछ' पाने को 'बहुत कुछ' तो करना पड़ता है

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31 OCT 2022 AT 22:50

ख़ुद को झाँकता नहीं कोई
कुछ लोग हैं ज़माने में
अपनी अवकात समझता नहीं कोई

बात को तोलता नहीं कोई
सामने वाले को चूतिया समझता है कोई
ख़ुद कुछ भी करे तो सब ठीक
पर अपने आगे किसी को समझता नहीं कोई

बात को तोलता नहीं कोई
अपने में मस्त इंसान को उँगली करता है कोई
हद में रहना सीख लो प्यारे क्योंकि
सिरफिरे को फिर समझता नहीं कोई

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25 OCT 2022 AT 9:21

एटा का पेठा है वो,
काशी के दिल में रहता है वो।
जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं मित्र,
आयोग महारथी कहलाता है वो।।

संविधान दिवस पर कुछ ठान रखा है वो,
थोड़ा नासाज़ पर विश्वास का पक्का है वो।
सारी खुशियाँ मिले स्वस्थ रहे मेरा दोस्त क्योंकि
बहुत जल्द single से mingle होने वाला है वो।।

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22 OCT 2022 AT 10:36

पतंगों ने पुरजोर कोशिश की थी पर
प्रकाशपुंजों ने भी उम्दा तैयारी की थी।
शूल गुलाबों पर हावी थे पर
शायद ईश्वर की कृपा भारी थी।।

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