मेरे बारे में अनुमान लगाना बन्द करों
क्योंकि मैं अनुमानों से परे
एक अलग तरह का इंसान हूँ
पर ये प्रकृति की तमन्ना हैं
और इसके लिए मैं दोषी नहीं हूँ
नव सृजन की ख्वाहिश होती हैं प्रकृति की
और मैं इसी ख्वाहिश का परिणाम हूँ
प्रकृति की विविधता की लालसा के तहत
उससे सृजित एक अलग तरह का इंसान हूँ-
दुनिया के पुस्तकालय की अजब कहानी हैं
कवर नए हैं पर किताबे वही पुरानी हैं
लगती हैं हर दास्तां नई खुद को दोहराकर
तभी कहते हैं कि दुनिया बड़ी रुहानी हैं
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कुछ तो तकलीफ दी होगी उसे हमारे दिल ने
वरना कोई यूँ हीं अपना घर छोड़कर नहीं जाता-
पर तू न गम कर मुझे न सता पाने का,
क्योंकि कोई आकर तेरी कमी पूरी कर देती हैं।
अब आँखें तरेरने से पहले बात समझ ले,
वो वसंत का मौसम भी नहीं बल्कि तेरी यादें हैं।
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नीर हर्ष का सदा आपके जीवन के गलियारों में बहता रहें,
आंनद सदा ही मयूर-सा आपके आँगन में नृत्य करता रहें।
उमंग घेरे रहें नीरव आकाश-सा चहुओर से आप सभी को,
सुख-समृद्धि से सदा आपके जीवन का उपवन महकता रहें।
इन्हीं हार्दिक शुभेच्छाओं के साथ YQ परिवार के सभी सदस्यों को दीपोत्सव की अनन्त शुभकामनाएँ 🌹🌹🙏-
और न इस दिल की थाह को माप सके।
कह नहीं सकता कि बदनसीबी हैं या खेल कुदरत का
पर ये तो तय हैं कि तुम मेरे जज्बातों को न भाँप सके।-
हर जनम में तू मेरे साथ रहे।
जिस्म तेरा रहे या न रहे मेरे साथ
मगर तेरी रूह हर वक्त साथ रहे।-
काश ! तुम शब्दों की जगह जज्बातों पर ध्यान दे जाते।
जानते थे तुम भी कि नहीं आती हमें शब्दों की बाजीगरी
खैर ये न करते तो हमें शब्दों की बाजीगरी ही सीखा जाते।-
मेरी एक सामान्य धारणा थीं कि कोई विशुद्ध राजनीतिज्ञ कभी राष्ट्रपति पद की गरिमा के साथ न्याय नहीं कर सकता और आमतौर पर जब मेरी कोई आम धारणा गलत सिद्ध होती हैं तो थोड़ी निराशा होती हैं, लेकिन आपने एक विशुद्ध राजनीतिज्ञ होने के बावजूद राष्ट्रपति पद के साथ हमेशा न्याय करके मेरी एक आम धारणा को खंडित किया तो मुझे बहुत खुशी हुई। आप वाकई भारत के चंद कोहिनूर में से एक थे। मैं आपको इस लोक से
गमन पर श्रद्धांजलि नहीं दूँगा। इसके स्थान
पर परलोक में उचित सम्मान (जो निश्चित
रूप से मिल चुका होगा) मिलने के लिए
बधाई दूँगा 💐💐-
हमारा दिल तो हैं एक उड़ता हुआ आजाद परिंदा,
इसे कैद करने का दिल से खयाल निकाल दीजिए।
पर न छोड़ पाओ जिद इस पंछी को कैद करने की,
तो अपनी चाहत के पिंजरे को आसमां बना लीजिए।
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