बिस्तर के सिरहानों में तकियों में छिपकर बैठे हैंये लम्हें हैं जो यादों केअकड़ को ऐंठे बैठे हैंकैद कर रख्खा है मुझकोयादों के गुलदस्तों मेंमैं फूल बन जाता हूँलेकिन काँटे चुभते रहते हैं - JS
बिस्तर के सिरहानों में तकियों में छिपकर बैठे हैंये लम्हें हैं जो यादों केअकड़ को ऐंठे बैठे हैंकैद कर रख्खा है मुझकोयादों के गुलदस्तों मेंमैं फूल बन जाता हूँलेकिन काँटे चुभते रहते हैं
- JS