दो सरहदों के लिए मुक़म्मल आशिकी हो भी जाये,पर ये रिवाज़ नही की शीशा टूटे और आवाज़ न आये।जया ज्योति नायडू रॉय....जयूनीर -
दो सरहदों के लिए मुक़म्मल आशिकी हो भी जाये,पर ये रिवाज़ नही की शीशा टूटे और आवाज़ न आये।जया ज्योति नायडू रॉय....जयूनीर
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