Jaya Jyoti Naidu Roy ...Jayuneer  
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Joined 8 March 2018


Joined 8 March 2018

जो आपकी औलाद होगी वो शोषित नही होगी,
जो शोषित होगी वो आपकी औलाद नही होंगी।
....जया ज्योति नायडू रॉय....जयूनीर

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किसी की उम्मीदों का दामन थाम के मत चलना
तुम बहुत सोच समझकर ही घर से निकलना।
जया ज्योति नायडू रॉय.....जयूनीर

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मुझे चाहिए जो भोर सखी,
है वो क्षितिज की ओर कही,
नवप्रभात की है किरणें जो,
रोक न पाए उसे रात कभी।

छोटे कदमो से बढ़ जाएगी
मुश्किलों से भी लड़ जाएगी
अपने आकाश में उड़ने को,
चिड़िया के पंखों में है जान अभी।

उम्मीदों से भरा नया कल,
मेरे मन मे बहता हर पल,
रात के बाद जो दिन आएगा,
बदल देगा वो बरस सभी।
जया ज्योति नायडू रॉय.....जयूनीर

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मेरी इल्म से परे है तेरी मसरूफियत के तार,
फिक्र की ये किफ़ायते मिलती हैं, क्यो उधार?
मौत के ताने बाने से जुड़ा ज़िन्दगी का शौक है,
ज़िन्दगी के रंगमंच में कठपुतलियां है बेशुमार,
बाजार में उठती हैं हर नज़र, हर नज़र का शुक्रिया,
ठोकरों सी नज़र है ठोकरों से तराशता है परवरदिगार,
बिक तो जाए सच्चाई मग़र साफ़गोई नेकनीयत कहाँ
बेशकीमती है नियत और दो दो टके के है खरीदार,
जो उम्मीदों का दिया जला रख देते हैं अक्सर ताक पे,
हल्की नाकामियों से ढह जाती है उनके घर की दीवार,
मैं जश्न मनाऊँ गर ग़म में तो ये वाज़िब नही लगता,
खुशियां मनाने के लिये भी होती है खुशियों की दरकार।
जया ज्योति नायडू रॉय ....जयूनीर

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सफ़र मोहब्बत का एक तलाश ही तो है.…..
रेत को तपिश की, धुंध को हवाओं की, लहरों को प्यास की और ज़िस्म को खुद के रूह की तलाश .....
मोहब्बत ही तो है.... जयूनीर

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तू समझेगा क्या कैसे तुझसे हमने मोहब्बत निभाई है,
तेरे इश्क़ में हमने चाहत से ज़्यादा तो रुसवाई पाई है।
जया ज्योति नायडू रॉय

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तुम चांद की बातें करते थे,
मैं चाँद हथेली पर ले आई,
तुम पर जितने काले साये थे,
मैं रात के आंचल पर दे आई।
जया ज्योति नायडू रॉय....जयूनीर

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तुम लड़ सकते हो सब से,
घुप अंधरे में बैठे डर से,
मेरे मन के अन्तर्द्वद से,
तुम लड़ सकते हो झूट और कपट से,
चारो ओर चीत्कार करते निशाचर से,
सत्य को झूठा बताने वाले पाखण्ड से,
खोये हुए सम्मान से हर पल मिले अपमान से,
पर तुम कहाँ हो, कहाँ हो तुम
निस्तब्धता में खोए हुए,
मौन ओढ़ के सोये हुए,
टूटा सारा मोह बंधन,
मिल न पाया पितृ आलिंगन,
चीत्कार को अनसुना कर,
भावनाओ को कुचलकर,
अंत यात्रा पर क्यो गए,
मुझको मृत्यु शैया पर सुलाकर।।।।
जया ज्योति नायडू रॉय..... जयूनीर

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भीड़ बहुत थी,लोग बहुत थे,
पर तुम्हारा इक साथ नही था,
न राह मिली न सपने पूरे हुए,
क्योकि सर पे तुम्हारा हाथ नही था,
कमी तो वैसे कुछ भी नही थी,
पर ज़रूरते सिमट गई,
पता हर पल चला तुम्हारे जाने से,
अपनी दुनिया सारी पलट गई,
मौन चीखता था अंदर
पर खामोशी दुनिया सीखा रही थी,
कोई दीवार नही हमारे आगे,
हमको हरपल बता रही थी,
बढ़ता जीवन बढ़ता गया,
राह मग़र कोई रौशन न हुई,
चलते गिरते रुकते रुकते,
तुमको हर पल ढूंढा है,
तुम नही तो लगता है
ऊपर वाला भी रूठा है,
कभी कोई पल वो भी आये,
जब सर पर तुम्हारा हाथ रहे,
पर देखो तो नियति कैसी है
तस्वीरों पर भी न तुम साथ रहे।।।।।
जया ज्योति नायडू रॉय....जयूनीर

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रम्य और सौम्य से निखरे प्रभा रूपी भाल से,
सागर मध्य खिलते कमल नयनों के जाल से,
कण्ठ पर पड़ी सुंदरी अमृत लताएं
दामनी धीरे से जिसके नूपुर बजाए,
हाथो में खड्ग शंख त्रिशूल शोभा पाए,
अवर्णनीय रूप जो शब्दो मे न समाए,
मन्द मोहनी मंथर सी अलस मुस्कान से,
श्वेत श्यामल अंगों सजे हर अलंकार से,
वो दिव्य दर्शनी देवी कन्या में समाये,
त्रिभुवन देवता भी जिनके गुणगान गाये,
नाद से झंकृत वो मधुर तार है,
प्रणवाक्षर का वो ही आधार है,
कोटि कोटि लोको में है पूजिता,
शरण जिसके मानव और देवता,
प्राकृति का वो अप्रतिम रूप है,
व्याप्त चहु दिशा में स्वरूप है,
अरण्य से नीले आकाश तक,
निस्तब्ध में भी फैले प्रकाश तक,
आगम से हर कण में उल्लास है,
हर ओर जयकार का उद्भाष है,
आओ सभी मिल कर स्तुति गाये,
श्री चरणों मे उसके मस्तक झुकाये।
जया ज्योति नायडू रॉय ....जयूनीर

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