Jatin Bhatia   (Jai)
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Joined 17 January 2017


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Joined 17 January 2017
28 OCT 2021 AT 0:36

चुपके से देखा और, मिलने से पहले चुराली नज़र
आँखों की बात आँखों में कुछ इस तरह रही ।

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23 DEC 2020 AT 23:03

वो देखें रुक के अक्स अपना मेरी दुकां के सामने
एक दुकां मैंने अयिने की उसके रास्ते में खोल दी

फिर यूं चढ़ा सर पर नशा, एक रोज़ उसके दीदार का
दिल की बात मैंने हौले से नज़रें झुका के बोल दी

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25 NOV 2020 AT 16:03

महफ़िले-अहबाब अगर मयस्सर नहीं पीने के लिए
तो चलो 'जय' कोई और तरकीब ढूंढें जीने के लिए

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19 NOV 2020 AT 21:22

हर नज़र को एक नज़र में गिरफ़्तार कर के
हाल पूछते हैं वो दिल को बेहाल कर के

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17 NOV 2020 AT 23:12

कब से बैठे थे तन्हा मेयार से उतर आए
फूलों के इश्क़ में पत्ते शाख से उतर आए

किमते-दिले-बेवफा देख कर हम भी
दिल अपना ले कर बाज़ार में उतर आए

दफ़्न कर रखे थे हमने सीने में राज़ जितने
हलक़ से शराब उतरी तो सब आँख में उतर आए

बज़्मे-यारा थी सबब या यूंही उदास था दिल 'जय'
जाने क्यूं ये आंँसू कल जामे-फ़िराक़ में उतर आए

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16 NOV 2020 AT 23:45

गौर से देख ये इख्लास है मेरा
के दिल अब भी तेरे पास है मेरा

तुझे लगता है मैं एक ना से मानूंगा
अरे पगली ये फकत आगाज़ है मेरा

हां तूने ज़माने को कभी मुड़ के नहीं देखा
मगर ज़माने से अलग एक अंदाज़ है मेरा

इतना यकीन दिलाता हूं, कभी ओछा ना होऊंगा
जंगे-दिल दिल से जीतूंगा, ये खुद पे विश्वास है मेरा

' जय ' वो पत्थर की कहां है जो इबादत ना सुन सके
ये मोम ज़रूर पिघलेगी, हर लफ्ज़ आग है मेरा

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14 NOV 2020 AT 22:41

शहरे-मयकशी में एक यही मयखाना मशहूर है
साकी तेरी तलब है हमें शराब बहाना ज़ुरुर है

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14 NOV 2020 AT 1:46

ये दिल मेरा दिल नहीं, ये जाँ मेरी जाँ नहीं
ये आंँसू रिवायती नहीं, ये मौसमे-खिज़ां नहीं

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10 NOV 2020 AT 23:00

होती है अजब हलचल, सीने में सैलाब करती है
मोहब्बत आँखों में पैदा कैसे-कैसे ख्वाब करती है

कोई भी हो मंज़िल तेरी गली से गुज़रता हूं
ये आदत मेरी मेरे सब काम खराब करती है

मेरी हर तदबीर बिगाड़ देती है तेरी ये हरकत
तू छत पर आती है तो क्यूं हिजाब करती है

नज़र से मिला के नज़र तू करती है वही काम
जो पानी से मिल कर शराब करती है

तुझमे सिफत है किसी को भी बस में करने की
तू बातें ही इतनी लाजवाब करती है

तेरे भरोसे हैं मेरी अमावस की सारी रातें, जैसे
किसी की तलाश जुगनुओं को मेहताब करती है

क्या रखा है इस जहान में तेरे बगैर जय
तेरी मौजूदगी मेरे होने को कामयाब करती है

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9 NOV 2020 AT 22:53

इसी साज़े-ज़िंदगी पर तजुर्बों से सीखे हैं

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