Jagrati Gupta   (Jagrati gupta)
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Joined 14 July 2017


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Joined 14 July 2017
4 SEP 2021 AT 11:04

खोई चीज़ को पाने में ज़माने लगेंगे।
हम लाश तो हो गए, अब बस ठिकाने लगेंगे।।
मेरी खुशियों का हिसाब मेरी उंगलियों पर है।
मेरे गम को बताने में मुझे मैखाने लगेंगे।।

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4 SEP 2021 AT 0:41

अपने किए कि सज़ा, कुछ इस तरह पा रहे हैं हम।
के अपने ही किए पे पछता रहे हैं हम।।

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5 AUG 2021 AT 22:16

हर रोज़ एक सफ़र से गुज़र रहा हूं मैं।
मानो जिंदा हूं पर गुज़र रहा हूं मैं।।
और गुज़र जाने की मेरे, दुआ में उठते हैं कई हाथ।
खुदा का करम है के दुओं से गुज़र रहा हूं मैं।।

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5 AUG 2021 AT 21:56

महज़ एक ही खुशी के साहारे जी राहा हूं अब।
गमों कि बरसात में भीगता मिला था उस से।।❣️

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13 JUL 2021 AT 1:04

अपनो के हाथों में खंजर।
खंजर में धार देखी है।।
मेरी जीत थी जिनसे।
मैंने उन्ही से अपनी हार देखी है।।

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22 JUN 2021 AT 11:43

मैं खोई खोई मुस्काती हूं।
फिर रो, चुप हो जी बहलाती हूं।।
फिर डगर पुरानी खोजती हूं।
फिर अपनो कि कुछ सोचती हूं।।
फिर नई राह की चाह लिए।
मैं मन के मोड़ को मोड़ती हूं।।

फिर याद न करने की चाह में मैं।
फिर याद वही कर लेती हूं।।
की हां नाराज़ हूं मैं।
नाराज़ हूं

कुछ अपनो से
कुछ सपनों से
कुछ ख्वाहिशों से
रिवाज़ों से
कुछ बंद पड़ी किताबों से।

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15 MAY 2021 AT 1:10

नादानी ने कर लिया अब तो किनारा हमसे।
समझदारों ने भी अक्सर लिया सहारा हमसे।।
थी तलब हमको भी टूटे और संभाले कोई।
ख्वाहिशों ने भी हमारी, कर लिया गुज़ारा हमसे।।

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18 MAR 2021 AT 21:31

कुछ आज़ाद पंछी से हैं हम।
चुनिंदा कैद का भी शुमार रखतें हैं।।
होंगे और नशे भी ज़माने में।
हम तो अपने कैफ़ का खुमार रखतें हैं।।

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7 JAN 2021 AT 19:57

दुनियां से दूर, खुद को खुद के करीब लगता हूं।
दुनियां से दूर, खुद को खुद के करीब लगता हूं।
और लगता होंगा तुम्हें इन दिनों अजीब मैं।
पर खुद को वाजिब और खुद का अज़ीज़ लगता हूं।।

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5 JAN 2021 AT 20:46

नाराज़गी में तकरार नहीं करते।
अब इतवार को ऐतबार नहीं करते।।
और हो जाए अब किसी के गलती से मोहोब्बत
हम जान कर तो अब किसी से प्यार नहीं करते।।

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