पल भर को जो कुछ दुकानें खुल रही हैं, दवाइयों से भी ज्यादा, स्याही बिक रही है मत समझ कि कहानियां लिखी जा रही हैं घर घर में दोस्त,वसीयतें लिखी जा रही हैं
पल भर को जो कुछ दुकानें खुल रही हैं, दवाइयों से भी ज्यादा, स्याही बिक रही है मत समझ कि कहानियां लिखी जा रही हैं घर घर में दोस्त,वसीयतें लिखी जा रही हैं
पल भर को जो कुछ दुकानें खुल रही हैं, दवाइयों से भी ज्यादा, स्याही बिक रही है मत समझ कि कहानियां लिखी जा रही हैं घर घर में दोस्त,वसीयतें लिखी जा रही हैं