जब भी वो शख़्स लम्बी लम्बी सी फैंकता हैहर कोई उसकी जानिब हैरत से देखता हैदेकर दिलासा पंदरह पंदरह वो लाख़ का फिरकह कर फक़ीर ख़ुद को जेबों को लूटता है - Ayaaz saharanpuri
जब भी वो शख़्स लम्बी लम्बी सी फैंकता हैहर कोई उसकी जानिब हैरत से देखता हैदेकर दिलासा पंदरह पंदरह वो लाख़ का फिरकह कर फक़ीर ख़ुद को जेबों को लूटता है
- Ayaaz saharanpuri