Jabir ayaaz   (Ayaaz saharanpuri)
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Joined 1 February 2018


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27 FEB 2021 AT 8:26

वफा के बदले जफा तुम्हारी
कुबूल है ये जज़ा तुम्हारी

किसी क़यामत से कम नहीं है
ए हुस्न ए पैकर अदा तुम्हारी

जुनूनियत की ये इन्तिहा है
अदा लगे है ख़ता तुम्हारी

मुझे सम्भाले हुए है एै माँ
हर एक लम्हा दुआ तुम्हारी

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5 JAN 2021 AT 9:20

शीश ए दिल मेरा जिस से टुकडे हुआ
सिर्फ लहजा था वो कोई पत्थर नहीं

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27 DEC 2020 AT 8:28

چھڑا لیا اسنے پھرسےدامن اسی طرح سے
کئیں بہانے بنا کے باتیں ہزار کرکے

छुडा लिया उसने फिर से दामन उसी तरह से
कईं बहाने बनाके,बातें हज़ार करके 💦

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25 DEC 2020 AT 18:53

दुनिया में अपनी जान से प्यारा कहें जिसे
आख़िर कोई तो एैसा हो अपना कहें जिसे

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22 DEC 2020 AT 15:12

तुम्हारे नाम से चहरे पे मेरे
खुली है शिद्दत ए जज़बात अक्सर

चला आता है आँखों में क्यूँ मेरी
कभी भी मौसम ए बरसात अक्सर

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18 DEC 2020 AT 17:26

इक ज़माने से मुहब्बत की अलालत में थे हम
वरना हमको कोई एैसी वैसी बीमारी न थी😢

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10 MAR 2020 AT 11:26

برسوں کے بعد ڈھلتی جوانی لئے ہوئے
وہ سامنے ہے آنکھ میں پانی لئے ہوئے

बरसों के बाद ढलती जवानी लिए हुए
वो सामने है आँख में पानी लिए हुए

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20 JAN 2020 AT 23:09

مصائب میں بھلا کب تک جیا جاتا لہذا یوں
زمانےکی تجوری سےمیں کچھ خوشیاں چرالایا

मसाइब में भला कबतक जिया जाता लिहाज़ा यूँ
ज़माने की तिजोरी से मैं कुछ खुशियाँ चुरा लाया

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9 APR 2019 AT 19:26

مانگی محبتیں تو وہ حیران ہو گئے
تقسیم کر رہے تھے جو نفرت ادھر ادھر

मांगी मुहब्बतें तो वो हैरान हो गये
तक्सीम कर रहे थे जो नफरत इधर उधर

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27 MAR 2019 AT 13:44

दियार-ए-गै़र में क्यूँ दिल सिताँ नहीं मिलता
अगर मिले तो कोई जान-ए-जाँ नहीं मिलता
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वुजूह-ए-तर्क-ए-वतन ही कुछ औ र हैं वर्ना
वहाँ जो मिलता है क्या वो यहाँ नहीं मिलता
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इलावा अपनों के ए हमवतन किसी भी जगह
मिज़ाज पुर्स या राहत रसाँ नहीं मिलता
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न जाओ यार के परदेस में यहाँ की तरह
ये खुशगवार फिज़ा ये समाँ नहीं मिलता
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उसे ठिकाना मिला तो भले ही दो गज़ का
सदा जो कहता रहा आशियाँ नहीं मिलता
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हमेशा मेरे क़दम बा क़दम जो रहता है
ग़मों का एैसा कहीं कारवाँ नहीं मिलता
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जहाँ पे ताईर-ए-दिल कुछ घडी ठहर जाए
अयाज़"क्यूँ तुझे वो गुलसिताँ नहीं मिलता

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