शिकायत कम से कम क्या है, पता तो हो।
ज़रूरत कम से कम क्या है, पता तो हो।
हमारा दुख नहीं समझे, न समझो तुम,
मुसीबत कम से कम क्या है, पता तो हो।
ख़ुदा पर है यक़ीं या बे-यक़ीनी है,
इबादत कम से कम क्या है, पता तो हो।
मुहब्बत को समझना ग़ैर-मुमकिन है,
अदावत कम से कम क्या है, पता तो हो।
'जबर' कुछ क़ायदे दुनिया के तोड़े भी,
बग़ाबत कम से कम क्या है, पता तो हो।
- रोहन कौशिक
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