जिन अंधेरी रातों में, कोई सुनहरी, सुनहरे ख़्वाब बुन रही होती हैं, न जाने कितनी चीख़ें, उन्ही अंधेरी रातों में, दम तोड़ रही होती है - © इश्क़ शर्मा प्यार से ✍
जिन अंधेरी रातों में, कोई सुनहरी, सुनहरे ख़्वाब बुन रही होती हैं, न जाने कितनी चीख़ें, उन्ही अंधेरी रातों में, दम तोड़ रही होती है
- © इश्क़ शर्मा प्यार से ✍