◆ आज का कुविचार ◆
तू न झुका कभी जीते जी
हर शाख झुकी हर पौधों की
अह्म लिए क्यूँ बैठा मन में
हुई राख हर माँस के लोथों की
तेरे घर घुस आए अग्यार बवंडर
कुण्डी लगा न सका द्वार में कोठों की
समझ-सुन के लोगों की
सुनने को दो कान मिले
तू दीन-नम्र नामक तार से
सिलाई कर अपने होठों की

- © इश्क़ शर्मा प्यार से ✍