IsHaN KuMar   (Ish-k)
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Dont connect my writings to my personal life.
Ig :@high._.sparrow
Joined 19 February 2018


Dont connect my writings to my personal life.
Ig :@high._.sparrow
Joined 19 February 2018
3 JUN 2022 AT 15:34

यह सपने हैं जनाब
बंद आँखों में ख़्वाब
और खुली आँखों
में मुक़ाम बन जाते हैं

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2 JUN 2022 AT 22:48

वो अक्सर दिल दुखाया करते हैं
प्यार को हमारे ठुकराया करते हैं
दूर रहते है कुछ पल भर के लिए
लौट फिर हमारी गली आया करते हैं
उनकी चेहरे की मुस्कान पर हम भी
हर ज़ख़्म दिए उनके भूल ज़ाया करते है
वो अक्सर दिल दुखाया करते हैं ।

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30 MAY 2022 AT 22:47

I never understood LOVE
And I think I never will
When you are in love
You feel ecstasy
You feel jealousy
Love is unconditional
Love is everything
Love is song of happiness , sadness
Mood swings , extreme madness
Blah blah…..
Aah I LOVE YOU
three fucking magical words
Need to repeated
If not then you are CHEATED
WORDS matters
what about FEELINGS ?
FORGET IT !!
I LOVE YOU matters :).



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29 MAY 2022 AT 20:37

वो सपने अकसर टूट जाया करते है
जिसमें आप खुदको नहीं
किसी और को पाया करते हैं।
ये सपनों की डोर है
कसकर पकड़ना वरना कटकर
आसमान में खोया ज़ाया करते है ।

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7 MAY 2022 AT 21:53

ना वक्त ख़राब था
ना क़िस्मत ख़राब थी
ग़लत तो इंसान था
जिसे वक्त दे बैठें
क़िस्मत समझ बैठें

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30 APR 2022 AT 15:38

उसे मुस्कुराता देख लो तो
मोहब्बत अंजाम है
उसने गलती से देख लिया
तो सामझो काम तमाम हैं ।

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17 APR 2022 AT 19:22


जब चाहा तुम्हें
तो आशिक़
और जब खुदको
तो मतलबी
तब अपना समझा
आज अजनबी
तुम ही बताओ कौन मतलबी ?

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6 APR 2022 AT 18:04

तुझे पाया ज़रूर हमने
मगर आज़माया नहीं
आज़माते भी कैसे ?
दिल दे बैठें थे
दिमाग़ लगाया ही नहीं

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3 APR 2022 AT 22:49

मानव प्रकृति

हर कोई टूटा बिखरा सा नज़र आता है
मुस्कान लिए चेहरे पर ,गम छुपाता है
असलियत चींटी भर खुदको हाथी दिखाता है
कितना दिखावटी है दोहरी ज़िंदगी जीता जाता है
मानव होकर भी कहाँ दूसरे मानव को समझ पाता है
सफलता की दौड़ में हर कोई सफल होना चाहता है
सफलता पाकर कर क्यूँ घमंड की चादर ओढ़ जाता है?
खुदके स्वार्थ को पूरा करने में दिमाग़ कम लगाता है
भलाई , पुण्य के कामों में खुदको दुविधा में पता है

ये मानव स्वभाव है या मानव रचना ही ऐसी है
यही सवाल मन में दोहराता हूँ
मैं भी अक्सर मानव प्रकृति का शिकार हो जाता हूँ ।






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30 MAR 2022 AT 22:13

सच्चा इंसान चाहती हो तुम
और कड़वा सच ना सुन पाती हो तुम ।
सच सुनकर “ झूठ ही बोल देते “
कहकर अपनी बात से मुकर जाती हो तुम ॥
सोचता हूँ आख़िर क्या चाहतीं हो तुम ?
क्या चाहतीं हो तुम?

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